त्रिपुरा चुनाव: ऋषियामुख में `लालगढ़` को भेदना बीजेपी के लिए कितना मुश्किल?
ऋषियामुख विधानसभा सीट से 10 वीं बार मैदान में माकपा के बादल चौधरी. अब तक हुए 9 विधानसभा चुनावों में 7 में जीत.
त्रिपुरा: त्रिपुरा विधानसभा की सभी 60 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान होगा. चुनाव प्रचार आखिरी चरण में है. 1988 से 1993 के बीच पांच साल छोड़कर 1978 से त्रिपुरा में वामदल का शासन है. इस चुनाव में असली लड़ाई 25 साल से सत्ता में काबिज मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और देश के आधे से ज्यादा राज्यों और केंद्र में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी के बीच है. भारतीय जनता पार्टी इस चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाना चाहती है. इस चुनाव को जीतने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 25 लाख मतदाताओं को लुभाने के लिए खुद पीएम मोदी पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर राज्यों के दौरे पर थे.
ऋषियामुख सीट से 7 चुनाव जीत चुके हैं बादल चौधरी
त्रिपुरा में विधानसभा की कई ऐसी सीटें हैं, जहां माकपा का एकछत्र राज्य रहा है. ऋषियामुख (विधानसभा सीट संख्या-37) उन चुनिंदा सीटों में से एक है. इस सीट पर माकपा के बादल चौधरी का कब्जा है. इस विधानसभा सीट पर बादल चौधरी के दबदबा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक हुए 9 विधानसभा चुनावों में 7 चुनाव में उनकी जीत हुई है. बादल चौधरी को केवल 1972 और 1993 विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
बादल चौधरी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं
ऋषियामुख विधानसभा सीट त्रिपुरा पूर्व लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस विधानसभा में मतदाताओं की कुल संख्या 43,131 है. इनमें से 22,335 पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 20,796 है. बादल चौधरी माणिक सरकार में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, राजस्व और लोक निर्माण मंत्री हैं. इनकी गिनती पार्टी के साफ सुथरी छवि वाले नेता के तौर पर होती है. 35 साल के राजनीतिक कार्यकाल में अब तक इनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है.
बीजेपी, कांग्रेस लगा पाएगी किले में सेंध?
ऋषियामुख सीट से माकपा ने एकबार फिर से बादल चौधरी को मैदान में उतारा है. लाल किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने पार्टी के युवा नेता आशीष वैद्य को उनके खिलाफ खड़ा किया है. आशीष वैद्य ऋषियामुख में बीजेपी प्रदेश इकाई के मंडल अध्यक्ष हैं. कांग्रेस ने बादल चौधरी के खिलाफ पार्टी के अनुभवी नेता दिलीप चौधरी को मैदान में उतारा है. दिलीप चौधरी ने ही 1993 विधानसभा चुनाव में बादल चौधरी को पटखनी दी थी. हालांकि 1998, 2003 और 2008 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. लगातार हार मिलने के बाद पार्टी ने 2013 विधानसभा चुनाव में दिलीप चौधरी का टिकट काटकर सुशांकर भौमिक को मैदान में उतारा. प्रत्याशी तो जरूर बदल दिए गए, लेकिन नतीजे नहीं बदले.
18 फरवरी को मतदान, 3 मार्च को मतगणना
त्रिपुरा विधानसभा की सभी 60 सीटों पर 18 फरवरी को मतदान होगा. माकपा ने 57 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं. बीजेपी ने 51 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि कांग्रेस ने सभी 60 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 2013 विधानसभा चुनाव की बात करें तो माकपा ने 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी, कांग्रेस के खाते में 10 सीटें आई थी, जबकि बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई. बीजेपी के 50 में से 49 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. इस चुनाव के नतीजे के लिए 3 मार्च का इंतजार करना होगा.
(इनपुट आईएएनएस से)