लंदन: भारत ने ब्रिटेन द्वारा भारतीय विद्यार्थियों को आसान वीजा नियमों का लाभ नहीं देने पर सवाल उठाया है. ब्रिटेन ने आसान वीजा वाले देशों की सूची से भारतीय छात्रों को अलग रखा है.  ब्रिटेन का कहना है कि भारत ने गैरकानूनी आव्रजकों की वापसी को लेकर सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया है जिसकी वजह से उसने यह कदम उठाया है. इससे पहले इसी सप्ताह ब्रिटेन के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री लियाम फॉक्स ने कहा था कि भारत को इस नई विस्तारित सूची से इसलिए अलग रखा गया है क्योंकि उसके साथ गैरकानूनी आव्रजकों का मुद्दा सुलझ नहीं पाया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस विस्तारित सूची से विदेशी विद्यार्थियों को फायदा होगा
इस विस्तारित सूची से विदेशी विद्यार्थियों को फायदा होगा.  इसके तहत ब्रिटेन के विश्वविद्यालय के लिए आवेदन की प्रक्रिया को सहज किया गया है. भारतीय विद्यार्थियों को उदारीकृत टियर चार (छात्र) वीजा में शामिल नहीं किया गया है.  ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त वाई के सिन्हा ने ब्रिटेन के इस रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि अब हम कह सकते हैं कि इसे हमारे द्वारा एमओयू पर दस्तखत नहीं करने से जोड़ा गया है.  


भारतीयों को 3,37,180 वीजा जारी किए गए
हालांकि मैं सभी से कहना चाहता हूं कि इस विषय पर हम ब्रिटेन का मजबूती के साथ सहयोग कर रहे हैं. सिन्हा ने छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही को ब्रिटेन सरकार के इस दावे के साथ जोड़ने पर सवाल उठाया कि भारत से करीब एक लाख गैरकानूनी आव्रजक अभी ब्रिटेन में हैं.  उन्होंने कहा कि कई गैरकानूनी आव्रजक हो सकते हैं , लेकिन यह एक लाख का आंकड़ा कहां से आया है.  उन्होंने ब्रिटेन के गृह विभाग के 2016-17 के विश्लेषण का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि भारतीयों को 3,37,180 वीजा जारी किए गए , जिनमें से 97 प्रतिशत भारत लौट चुके हैं.  


मालूम हो कि केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कई नई देशों के साथ भारत ने उदार वीजा नीति को अपनाया है. आमतौर पर उदार वीजा नीति मित्र राष्ट्र के साथ ही होती है. साल 2015 में भारत ने कनाडा सहित कुछ और यूरोपीय देशों के साथ उदार वीजा नीति लागू किया था. इसके अलावा भारत फिल्मों की शूटिंग करने और ईलाज कराने के नाम पर आसानी से वीजा जारी करता है.


इनपुट भाषा से भी