नई दिल्‍ली : रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने सोमवार को कहा कि परिस्थतिजन्य साक्ष्यों से यह संकेत मिलता है कि नव वर्ष की रात्रि को भारतीय तटरक्षक द्वारा खोजी गई पाकिस्तानी नौका का संदिग्ध आतंकी संबंध था। रक्षा मंत्री ने उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया कि नौका पर तस्कर सवार थे।


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पार्रिकर ने कहा कि वह उन्हें ‘संदिग्ध या संभावित आतंकी’ करार देते हैं क्योंकि उन्होंने घेराबंदी किये जाने पर खुद को उड़ा लिया। उन्होंने कहा कि वे (नौका पर सवार) पाकिस्तान के नौवहन अधिकारियों, सेना और अंतरराष्ट्रीय सम्पर्क से जुड़े थे। यदि बोट में सवार लोग तस्‍कर होते तो वे ब्‍लास्‍ट नहीं करते। बोट पर सवार लोग संदिग्‍ध आतंकी ही थे, इसलिए उन लोगों ने ब्‍लास्‍ट कर आत्महत्या कर ली। पार्रिकर ने सवालिया लहजे में कहा कि यदि बोट में सवार लोग तस्‍कर होते तो वे फिर पाक एजेंसियों के संपर्क में क्‍यों होते? रक्षा मंत्री ने कहा कि बोट पर सवार लोगों ने जिस तरह आत्महत्या की, जाहिर होता है कि वे आतंकी थे। अगर नौका पर ड्रग्स स्मगलर होते तो वे समर्पण कर देते।


उन्होंने कहा कि नौका न तो मछली पकड़ने के क्षेत्र में थी और न ही ऐसे व्यस्त मार्ग पर थी जिसे तस्कर पसंद करते हैं तथा उनके कार्यों से ऐसा संकेत मिलता है कि वे किसी अन्य तरह की गतिविधि के लिए थे। हम सुनिश्चित नहीं हैं कि वह अन्य तरह की गतिविधि क्या है। रक्षा मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है कि जब इस दावे पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं कि 2008 के मुम्बई आतंकी हमले की शैली की कोशिश को विफल बना दिया गया। ऐसी भी खबरें हैं जिनमें दावा किया गया है कि नौका तस्करी में शामिल थी। कांग्रेस ने सरकार से इस मामले में पूरी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह ऐसा कहकर पाकिस्तान की एक तरह से सहायता कर रही है।


रक्षा मंत्रालय के एक कार्यक्रम से इतर पार्रिकर ने संवाददाताओं से कहा कि कुछ अटकलें हैं लेकिन मैं अटकलों का हिस्सा नहीं बनना चाहता और इतना कहना चाहता हूं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नौका मछली पकड़ने के सामान्य मार्ग पर नहीं थी। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में कोई अन्य नौका नहीं थी और इसलिए वह मछली पकड़ने का क्षेत्र नहीं था। पार्रिकर ने कहा कि तस्कर सामान्य तौर पर सोने, मादक पदार्थों एवं अन्य प्रतिबंधित सामान की तस्करी व्यस्त मार्गों से करते हैं क्योंकि यहां अन्य नौकाओं के बीच छिपना आसान होता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि उक्त नौका निर्जन इलाके में थी और उसे निगरानी विमान ने देखा। इससे तस्करी की गतिविधि का कोई संकेत नहीं था बल्कि कुछ अन्य गतिविधि से था। यह तय नहीं है कि किस तरह की अन्य गतिविधि।


उन्‍होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास इस पाकिस्‍तानी बोट के बारे में पूरी पुख्‍ता जानकारी थी। करीब 12-14 घंटे तक बोट पर निगरानी रखी गई थी। उन्‍होंने बोट मामले में बेहतर ढंग से निपटने के लिए भारतीय तटरक्षक बलों की भूमिका की सराहना की। रक्षा मंत्री ने भारतीय तटरक्षक के साथ ही इस अभियान में शामिल जवानों की प्रशंसा जो ‘बिना अनुमति वाली नौका’ की समय पर सटीक तरीके से घेराबंदी करने के अभियान में शामिल थे जिससे एक संभावित खतरा टल गया। पार्रिकर ने कोस्ट गार्ड की कार्रवाई को उचित समय पर सही कार्रवाई बताया। घटना के वक्त तीन बोट होने के सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि यह सच है कि वहां दूसरे बोट भी थे, लेकिन वो अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थे इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं की गई। उन्‍होंने आशंका जताई की इस पूरी कवायद के पीछे पाकिस्तान की मंशा पेशावर की घटना से सभी का ध्यान हटाने की है।


 रक्षा मंत्री ने कहा कि इंटेलिजेंस के इनपुट्स के मुताबिक नाव में सवार लोग पाक एजेंसियों के संपर्क में थे। उन्होंने कहा कि तस्कर कभी भी पाकिस्तान की एजेंसियों के संपर्क में नहीं होते हैं। इस नाव के बारे में इंटेलिजेंस इनपुट्स बिल्कुल स्पष्ट थे। नाव सवारों की इंटरसेप्ट की गई बातचीत बेहद संदिग्ध है। वे आपस में माल पहुंचा देने की बात कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस नाव के अलावा उस रात एक दूसरी नाव भी थी, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में थी।


रक्षा मंत्री ने कहा कि नौका में आग लगाने के आत्मघाती कार्य से प्रदर्शित होता है कि वे ‘प्रतिबद्ध’ थे और इससे उनके संदिग्ध आतंकी संबंधों का संकेत मिलता हैं। उन्होंने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य से इस बात का संकेत मिलता है जो मैं कह रहा हूं। बहरहाल, रक्षा मंत्रालय की विज्ञप्ति में कहा गया है कि नौका पर सवार लोगों ने उसमें आग लगा दी जिसके बाद वह डूब गई। नौका पर सवार लोगों के तस्कर होने की संभावना को खारिज करते हुए पर्रिकर ने कहा कि तस्कर पाकिस्तान की नौवहन एजेंसी या सेना या अंतरराष्ट्रीय लोगों के सम्पर्क में नहीं होते हैं।


उन्होंने कहा कि सेटेलाइट पर पकड़ गए संवाद से यह बात स्पष्ट हुई है कि वे नौका पर सवार कुछ लोगों के परिवार के बारे में बात कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने कहा कि एक सामान्य नौका पर अगर मादक पदार्थ होता है, तो उसपर सवार लोग, उसे फेंककर आत्मसमर्पण कर देते हैं। अगर आप प्रतिबद्ध नहीं हैं तब कोई भी अपने आप को मारता नहीं है। उन्होंने कहा कि नौका पर सवार लोगों के कार्य इस बात की पुष्टि करते हैं। पर्रिकर ने कहा कि यह हम अगर यह अटकल नहीं लगाते कि उस नौका में विस्फोटक होगा, तो भी उनके मन में कोई कार्य था जो इस नौका के तस्करों की नौका होने के खाके पर उपयुक्त नहीं बैठता है। कौन सा तस्कर आत्महत्या करेगा? मैं इतना ही कहना चाहता हूं। रक्षा मंत्री ने कहा कि तटरक्षकों की परिचालनात्मक प्रक्रिया स्पष्ट है। (नौका) की लाइटें बंद थीं और वह विस्फोटकों से लदी था, जो अंशत: सही है। इससे तटरक्षकों को नुकसान हो सकता था, घायल हो सकते थे।


दूसरी नौका के बारे में पूछे जाने पर पर्रिकर ने कहा कि वह पाकिस्तान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में थी। पर्रिकर ने कहा कि खुफिया जानकारी स्पष्ट थी और यह नौका की सटीक स्थिति के बारे में भी थी। संघर्ष विराम के उल्लंघन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अवांछित तत्वों को गोलीबारी की आड़ में सीमापार कराने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहा है कि आतंकवाद नहीं बढ़े या हमारे क्षेत्र में नहीं घुसपैठ करे।


गौर हो कि 31 दिसंबर को अरब सागर में भारत-पाक समुद्री सीमा के पास विस्फोटकों से भरी एक संदिग्ध बोट में धमाका हुआ। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, यह 26 /11 जैसा आतंकी हमला दोहराने की पाकिस्तानी सेना की साजिश थी। पाकिस्तान की ओर से घुसी बोट पर सवार लोग कराची और थाईलैंड में बैठे लोगों के लगातार संपर्क में थे। उनकी इस बातचीत को एजेंसियों ने रिकॉर्ड कर लिया, जिससे पाकिस्तानी सेना की साजिश का खुलासा हुआ। भारतीय तटरक्षकों ने अरब सागर में आधी रात में बीच समुद्र में की गई एक कार्रवाई में मछली पकड़ने वाली एक संदिग्ध पाकिस्तानी नौका को घेर लिया था जिसमें विस्फोटक भरा हुआ था। इस घेराबंदी के बाद नौका में अचानक विस्फोट के बाद आग लग गई जिसके बाद उस पर सवार चार लोग नौका के साथ ही डूब गए। यह घटना 31 दिसम्बर की रात पोरबंदर से करीब 365 किलोमीटर दूर बीच समुद्र में हुई।