नई दिल्ली : दुनियाभर के विरोध के बाद भी पाकिस्तान जमात-उद-दावा के प्रमुख और 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की पाकिस्तान में गतिविधियां बढ़ती ही जा रही हैं. इस बार इस्लामाबाद में सईद की रैली फिलिस्तीनी राजदूत के शामिल होने पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है. भारत ने फिलिस्तीनी राजदूत की मौजूदगी पर कड़ी आपत्ति जताई है. भारत ने कहा कि वह इस मुद्दे को फिलिस्तीन के सामने सख्ती से उठाएगा. इस्लामाबाद में फिलिस्तीनी राजदूत वालिद अबु अली ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल की ओर से आयोजित एक विशाल रैली में हिस्सा लिया.


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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया, ‘‘हमने इस बाबत खबरें देखी हैं. हम नई दिल्ली में फलस्तीनी राजदूत और फलस्तीनी अधिकारियों के सामने इस मुद्दे को सख्ती से उठाएंगे.’’  दिफा-ए-पाकिस्तान (पाकिस्तान की रक्षा) काउंसिल पाकिस्तान में इस्लामी समूहों का एक गठबंधन है, जिसमें हाफिज का संगठन भी शामिल है. बता दें कि हाल ही में हाफिज सईद ने इस्लामाबाद में अपना पार्टी कार्यालय खोला है. दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल ने रावलपिंडी के लियाकत बाग में शुक्रवार को एक विशाल रैली का आयोजन किया था. रैली में हाफिज सईद के साथ फिलिस्तीन के राजदूत वलीद अबु अली भी शामिल हुए. रैली को वलीद अबु अली ने भी संबोधित किया. 


फिलिस्तीनी राजदूत के हाफिज सईद के साथ मंच साझा करने पर भारत में तरह-तरह की प्रतिक्रिया मिल रही हैं. क्योंकि फिछले हफ्ते ही संयुक्त राष्ट्र महासभा में येरूशलम मुद्दे पर भारत ने अमेरिका के खिलाफ मत डालते हुए फिलिस्तीन का समर्थन किया था. सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से सवाल किया जा रहा है कि भारत ने येरूशलम मसले पर इजरायल के खिलाफ फिलिस्तीन का जो समर्थन किया था, उसका फल मिल रहा है. फिलिस्तीन भारत के सबसे बड़े दुश्मन और आतंकी हाफिज सईद के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है. पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार ओमर कुरैशी ने इस पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से ही सवाल किया है.



बता दें कि हाल ही में नजरबंदी से रिहा हुए आतंकी हाफिज सईद अब राजनीति में आना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने आने वाले चुनावों में उतरने का भी ऐलान किया था. हाफिज को पाकिस्तान की सेना का भी समर्थन मिल रहा है. 


संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने किया फिलिस्तीन का समर्थन- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पास कर अमेरिका से यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के फैसले को वापस लेने को कहा है. पिछले कुछ समय से लगभग हर मोर्चे पर अमेरिका का साथ देने वाले भारत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी के बाद भी यरुशलम के मुद्दे पर विरोध में वोट किया है. भारत सहित दुनिया के 128 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में यरुशलम को इजरायल की राजधानी मानने से मना कर दिया. केवल 9 देशों ने ही अमेरिका के प्रस्ताव का समर्थन किया. 35 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी भरे लहजे में कहा था कि जो भी देश यरुशलम के मसले पर उसके पक्ष में वोट देंगे, उन्हें आर्थिक मदद देने में अमेरिका कटौती करेगा.