Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में सेंध की आरोपी नीलम को अभी एफआईआर कॉपी नहीं मिलेगी. दिल्ली हाई कोर्ट ने एफआईआर कॉपी उपलब्ध कराने के  निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है. ट्रायल कोर्ट ने नीलम की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को UAPA के तहत दर्ज केस में एफआईआर कॉपी देने का आदेश दिया था. हाई कोर्ट ने माना कि इस केस में एफआईआर में संजीदा जानकारी है और  ट्रायल कोर्ट को बिना पूरी प्रकिया का पालन किये  एफआईआर कॉपी उपलब्ध कराने का आदेश नहीं देना चाहिए थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकारी वकील की दलील
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि ट्रायल कोर्ट के जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी की है. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि संजीदा मामलों में, UAPA के तहत दर्ज केस में एफआईआर कॉपी आरोपियों को देना ज़रूरी नहीं है.  इस तरह के मामलों में एक प्रकिया बनाई गई है कि आरोपी एफआईआर कॉपी के लिए पहले पुलिस कमिश्नर के सामने आवेदन देंगे. कमिश्नर एक तीन सदस्य कमेटी का गठन करेगे और वो कमेटी तय करेगी कि एफआईआर कॉपी दी जाए या नहीं. कमेटी के इंकार के बाद ही एफआईआर कॉपी हासिल करने के लिए कोर्ट का रुख किया  जा सकता है लेकिन यहाँ ऐसा नहीं हुआ.


नीलम को नोटिस जारी किया
कोर्ट ने भी सरकारी वकील की दलीलों से सहमति जताते हुए अगली सुनवाई तक  निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी.  इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस की याचिका पर नीलम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.


FIR देने में  पुलिस का एतराज
इससे पहले निचली अदालत में भी दिल्ली पुलिस ने एफआईआर देने की मांग का विरोध किया था. पुलिस ने कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा था कि ये मामला बेहद संजीदा है. इसके चलते एफआईआर कॉपी को सीलबंद कवर में रखा गया है. इस केस में जांच अभी जारी है. कुछ आरोपी पुलिस हिरासत में है, तो कुछ अभी भी फरार है. जाँच की इस स्टेज पर हर जानकारी अहम है और किसी भी तरह की लीक जांच को प्रभावित कर सकती है, लिहाजा इस स्टेज पर FIR कॉपी नहीं दी जा सकती.