अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में शुरू हुई नदी जोड़ो परियोजना में अब प्रगति होती दिख रही है. उनके समय में केन-बेतवा नदियों को जोड़ने की बात हुई थी. अब उससे आगे पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना पर हस्‍ताक्षर होने जा रहे हैं. 


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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस संदर्भ में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मंगलवार को जयपुर में पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. उन्होंने सोमवार को कहा कि यह परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान के किसानों के लिए समृद्धि लाएगी.


यादव ने कहा कि दो दशकों के प्रयासों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नदियों को जोड़ने का सपना साकार हो रहा है. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश और राजस्थान को सिंचाई व पेयजल सुविधाएं प्रदान करने के लिए वर्ष 2004 में यह नदी जोड़ो परियोजना प्रस्तावित की गई थी हालांकि दोनों राज्यों के बीच जल बंटवारे पर समझौता न होने के कारण परियोजना को लागू नहीं किया जा सका.


यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे.


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जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मध्यप्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र में 6.13 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी और 40 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा.


उन्होंने कहा, “इसके अलावा लगभग 60 साल पुरानी चंबल दाहिनी मुख्य नहर और वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य के माध्यम से भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के किसानों को मांग के अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा.”


मंत्री ने कहा कि इस परियोजना से मध्यप्रदेश के गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, धार, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3,217 गांवों को लाभ मिलेगा. उन्होंने कहा कि नदी जोड़ो परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ रुपये है, जिसे मध्यप्रदेश (35,000 करोड़ रुपये) और राजस्थान (37,000 करोड़ रुपये) साझा करेंगे.


परियोजना की कुल जल भंडारण क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी और 172 मिलियन घन मीटर पानी पेयजल और उद्योगों के लिए आरक्षित किया जाएगा.


सिलावट ने कहा कि परियोजना के तहत 21 बांध और बैराज बनाए जाएंगे.