नई दिल्ली: माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने इस साल प्रस्तावित आम चुनाव के मद्देनजर शनिवार को कहा कि लोग बदलाव की तरफ देख रहे हैं और यह चाहते हैं कि अब यह सरकार जाए. येचुरी ने माकपा के मुखपत्र ‘पीपुल्स डेमोक्रेसी’ में अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाल ही में एक साक्षात्कार का हवाला देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का यह बयान स्वाभाविक ही है कि भारत के लोग इस चुनाव की दिशा तय करेंगे. बेशक, हर चुनाव में जनता ही चुनाव की दिशा तय करती है. 


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येचुरी ने कहा कि यह तेजी से स्पष्ट हो रहा है कि भारत में लोग बदलाव की तरफ देख रहे हैं और जनता यह चाहती है कि अब यह सरकार जाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने लगभग डेढ़ घंटे के साक्षात्कार में रोजगार सृजन के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला. जबकि चुनाव से पहले उन्होंने युवाओं के लिये हर साल रोजगार के दो करोड़ अवसर मुहैया कराने का वादा किया था. इस हिसाब से अब तक रोजगार के अवसरों में दस करोड़ का इजाफा हो जाना चाहिये था. 


येचुरी ने रोजगार बढ़ने के बजाय नौकरियां घटने संबंधी एक अध्ययन रिपोर्ट का जिक्र करते हुये कहा कि 2018 में 1.1 करोड़ लोग रोजगार से हाथ धो बैठे. इस स्थिति से ग्रामीण क्षेत्र के लोग सर्वाधिक प्रभावित हुए. अध्ययन रिपोर्ट के हवाले से शनिवार को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए येचुरी ने ट्वीट भी किया 2018 में 1.1 करोड़ लोगों का रोजगार छिना, मोदी सरकार में लोगों का कष्ट और अधिक बढ़ गया है. रोजगार का अभाव, युवाओं और भारत के भविष्य को नष्ट कर रहा है. जबकि वादा था दस करोड़ नयी नौकरियां देने का. 


उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा किसानों की कर्जमाफी को ‘लॉलीपॉप’ करार देने को अमानवीय बताते हुये कहा कि संकटग्रस्त किसानों की आत्महत्या को रोकने के लिये एक बार कर्ज माफी ही ‘अन्नदाता’ को समस्या से उबारने का एकमात्र दूरगामी उपाय है. येचुरी ने नोटबंदी, जीएसटी, धार्मिक असहिष्णुता, राफेल और तीन तलाक मामले में सरकार के बचाव में प्रधानमंत्री मोदी की दलीलों को नकारते हुये कहा कि पांच साल से भी कम समय में जनता सरकार के वादों और दावों की सच्चाई समझ गयी है. अगला चुनाव ‘मोदी सरकार बनाम जनता’ के रूप में देखने को मिलेगा.