`भारत का बचपन कैसे छीन सकते हैं विदेशी?` ZEE को मिला देश का साथ
ज़ी एंटरटेनमेंट के फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा की अपील के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का जबर्दस्त समर्थन देखने को मिला.
नई दिल्ली: इकलौते राष्ट्रवादी चैनल के टेकओवर की साजिश के खिलाफ ZEE के चाहने वालों ने मोर्चा खोल दिया है. इन्वेस्को की चाल उसी पर उल्टी पड़ती दिख रही है. ज़ी एंटरटेनमेंट के फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा ने साजिश रचने वालों को खुला चैलेंज दिया तो लोग उनके समर्थन में उतर आए. बुधवार की रात #DeshKaZee ट्विवटर पर नंबर वन पर ट्रेंड करता रहा. जो व्यूअर देश के चैनल को देखकर बड़े हुए हैं, अपने बचपन का जुड़ाव महसूस करते हैं वो इन्वेस्को में किए गए अपने इन्वेस्टमेंट वापस ले रहे हैं और अब ज़ी के शेयर खरीदने का ऐलान कर रहे हैं.
दर्शकों ने साझा किया ZEE से जुड़ाव
ऐसे ही एक ज़ी के एक दर्शक अविनाश ने ऐलान किया है कि उनके पास इन्वेस्को (Invesco) के म्यूचुअल फंड में जो इन्वेस्टमेंट है उसे वे कल बेच देंगे और इसके बदले वो ज़ी के शेयर खरीदेंगे. अविनाश ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'कोई मेरा बचपन कैसे छीन सकता है?'
'बचपन की यादों को बचाने के लिए धन्यवाद'
एक और दर्शक ने लिखा, 'हमारी बचपन की यादों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रायस के लिए आपका धन्यवाद. उम्मीद है कि और लोग भी आपसे प्रेरित होंगे.'
'ये चैनल हमारा है, इसे किसी को लेने नहीं देंगे'
मोहित सोनी नाम के दर्शक ने लिखा, 'ZEE TV देश का चैनल है. ये देश हमारा है. ये लोग हमारे हैं. ये मेहनत हमारी है और इसे हम किसी को लेने नहीं देंगे. I'm Standing With ZEE.'
'ZEE को देखने वाले मालिक'
बता दें, ज़ी न्यूज के एडिटर इन चीफ सुधीर चौधरी के साथ ZEEL फाउंडर डॉ. सुभाष चंद्रा ने सबसे बड़े इंटरव्यू में कहा, ZEEL का मालिक कोई एक व्यक्ति नहीं है बल्कि वे खुद को भी मालिक नहीं मानते. उन्होंने 2.5 लाख शेयरहोल्डर, इस देश के 90 करोड़ और विदेश के 60 करोड़ दर्शकों को Zee TV को मालिक बताया.
डॉ चंद्रा के साथ आया देश
डॉ. सुभाष चंद्रा ने इन्वेस्को की साजिश के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, अगर वो इस कंपनी (ZEEL) को टेकओवर करना चाहते हैं तो गैरकानूनी तरीके से ये संभव नहीं है. विदेशी निवेशकों को भी देश के कानून का पालन करना होगा. इस मामले में डॉ. सुभाष चंद्रा ने इन विदेशी निवेशकों को कहा- आप शेयरहोल्डर हैं मालिक बनने की कोशिश न करें. डॉ. चंद्रा ने देश से अपील की भी कि देश के अपने चैनल, इकलौते राष्ट्रवादी चैनल को विदेशी कंपनियों के हाथ में न जाने दें. उनकी इस भावुक अपील का असर दिखना शुरू हो गया है.
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