PHOTOS: चाइनीज मांझा बना जी का जंजाल, दांव पर लगी पूर्व क्रिकेटर के बेटे की जिंदगी

इस हादसे में दिल वालों की दिल्ली का जो बेदिल चेहरा सामने आया है वो आपको भी देखना चाहिए...

पूजा मक्कड़ Wed, 26 Aug 2020-7:19 pm,
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मांझे से दांव पर लगी जान

पूर्व क्रिकेटर मनिंदर सिंह के बेटे अर्जुन रोजाना 50 से 60 किलोमीटर साइकिल चला लेते हैं. एक्सीडेंट से बचने के लिए हमेशा हेड गेयर यानी साइकिल के हेलमेट और कोहनियों और घुटनों के लिए पैड्स का इस्तेमाल भी करते हैं. लेकिन ये सब बेकार साबित हुआ और 15 अगस्त की शाम जब दिल्ली पतंगबाजी कर रही थी. एक मांझे की वजह से अर्जुन का होंठ कट गया.

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पूर्व क्रिकेटर मनिंदर सिंह के बेटे का चेहरा चाइनीज मांझे ने काटा

24 साल के हंसते खेलते नौजवान की ये तस्वीर देखिए. अर्जुन का ये हाल पतंग की डोर की वजह से हुआ है. साइकिल पर जा रहे अर्जुन के चेहरे से उलझे पतंग के एक मांझे ने पूरा होंठ काट दिया. इस दौरान इतना खून बहा कि हेलमेट से लेकर जूते भी खून से सने हुए थे.

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नॉर्मल होने में लगेंगे पूरे 6 महीने

गाजियाबाद के वैशाली में बने मैक्स अस्पताल में अर्जुन की सर्जरी हुई. तीन दिन अस्पताल में रहने के बाद अर्जुन घर लौट आए, लेकिन घाव भरने और पूरी तरह नॉर्मल होने में इन्हें अभी 6 महीने लगेंगे. सिर्फ उस एक अस्पताल के डॉक्टरों ने 15 अगस्त मांझे से कटने की वजह से 5 और लोगों के आपरेशन किए.

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गाड़ी गंदी ना हो इसलिए नहीं की मदद

धार इतनी तेज थी कि खून पानी की तरह बहने लगा. अर्जुन बेहोशी की हालत में आ चुके थे. एक कार सवार ने इन्हें सड़क पर पड़े देखा, लेकिन गाड़ी गंदी होने के डर से वहीं छोड़ कर चल दिया. इसके बाद पीछे से आ रही दूसरी कार में एक युवा दंपति ने इन्हें कार में बिठाया. अर्जुन की साइकिल बड़ी थी, जिसे एक दूसरे कार सवार की डिक्की में रखकर उससे गुजारिश की कि अस्पताल तक आ जाए और साइकिल अस्पताल में छोड़ दे, लेकिन वो आदमी अर्जुन की साइकिल लेकर गायब हो गया, और आज तक उसका कोई पता नहीं है. लेकिन उस वक्त जिंदगी और मौत से जूझ रहे अर्जुन को बचाना बड़ी चुनौती थी.

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2017 में एनजीटी ने लगाई थी चाइनीज मांझे पर रोक

2017 में दिल्ली सरकार और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने चाइनीज मांझे पर रोक लगा दी थी. दरअसल भारत में सूत वाले धागे से पतंगे उड़ाई जाती थी. लेकिन चाइनीज मांझे में कांच, प्लास्टिक, नाइलोन और दूसरी धातुओं के मिलाया जाता है, जो किसी की जान भी ले सकता है. लेकिन तमाम पाबंदियों के बावजूद ये मांझा दिल्ली एनसीआर में आसानी से मिल जाता है.

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