दिल्ली हिंसा के दौरान इन लोगों ने की दंगा पीड़ितों की मदद, पढ़ें मानवता की ये कहानियां
दंगे के दौरान जब कुछ असामाजिक तत्व दिल्ली को दहलाने की साजिश में लगे थे उस समय कुछ ऐसे लोग भी थे जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम भूल घायलों और दंगा पीड़ितों की मदद की.
तीन छात्राओं ने पेश की मिसाल
हिंसा के दौरान चांद बाग इलाके में तीन लड़कियों ने जो काम किया है वो किसी मिसाल से कम नहीं है. यहां दोनों पक्षों के बीच जब पथराव हो रहा था, लोग घायल हो रहे थे, एक-एक कर सभी दुकानें बंद हो रही थीं, घायलों के शरीर से खून बह रहा था उसी दौरान इन तीन लड़कियों रितिका, मोनिका और प्राची ने 25 घायल लोगों का इलाज किया.
नर्सिंग की छात्रा ने ऐसे की घायलों की मदद
रितिका, मोनिका और प्राची ने घायलों को फर्स्ट एड दिया. पड़ोसियों से दवाई और पट्टी मांग कर उनके जख्मों पर मरहम लगा. प्राची ने बताया कि वह नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है. ऐसे में उसे पता था कि घायलों को फर्स्ट एड कैसे दिया जाए. इस नेकी के काम में उसने अपनी सहेलियों की मदद ली. रितिका 12th क्लास में पढ़ती है जबकि मोनिका फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट है.
हिंदू परिवारों के लिए दीवार बने शेर मोहम्मद
24 फरवरी को जब एक तरफ दिल्ली के कई इलाके जल रहे थे उस समय मूंगा नगर की एक गली बिलकुल शांत थी. दरअसल, मूंगा नगर की इस गली में सभी हिंदू परिवार हैं सिर्फ शेर मोहम्मद इकलौते मुस्लिम हैं. ये यहां 40 साल से रहते हैं. इस गली में किसी को किसी भी तरह का डर नहीं है क्योंकि शेर मोहम्मद, अपनी पत्नी सरवरि बेगम और बेटे आस मोहम्मद के साथ हिंदू परिवारों की मदद कर रहे हैं. वो मुस्तैदी से इस बात का ध्यान रख रहे हैं कि कोई शरारती तत्व गली में ना घुसे.