ये हैं देश के ऐसे Mysterious Temples, जहां होती हैं कई अविश्वसनीय घटनाएं

नई दिल्ली: सबसे प्राचीन धर्म सनातन धर्म को माना जाता है. सनातन हिंदू धर्म में त्रिदेवों की मान्यता है. इसी सिलसिले में भारत अपने प्राचीन मंदिरों के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. देश में छोटे-बड़े अनगिनत मंदिर हैं जिन्हें अपनी संस्कृति, मान्यताओं या सिद्धि की वजह से जाना जाता है. इसी तरह देश में कई रहस्यमय मंदिर (Mysterious Temples) भी हैं, जो अपनी परंपराओं, मान्यताओं और रहस्यमयी कारणों की वजह से प्रसिद्ध हैं. आइए बताते हैं ऐसे मंदिरों की जानकारी.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Wed, 28 Jul 2021-10:36 am,
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कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर, केरल

केरल का कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर प्राचीन मंदिरों में शामिल है. कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर का रहस्य ये है कि ऐसा माना जाता है कि यहां होने वाली पूजा-अर्चना या अनुष्ठान देवी के निर्देशों पर ही किए जाते हैं.

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वीरभद्र मंदिर, आंध्र प्रदेश

वीरभद्र मंदिर भारत के सबसे रहस्यमयी मंदिरों में शामिल है. वीरभद्र मंदिर की एक रहस्यमयी बात यह है कि यहां 70 बड़े स्तम्भों में एक स्तम्भ मंदिर की छत को तो छूता है, लेकिन जमीन से उठा रहता है. इस पिलर को हैंगिंग पिलर भी कहते हैं. यहां अक्सर पर्यटक पिलर के नीचे से कपड़ा निकालते हुए इस पिलर को टेस्ट करके देखते हैं.

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करणी माता मंदिर राजस्थान

भारत के बीकानेर में करणी माता मंदिर का मशहूर मंदिर है. ये मंदिर भी किसी रहस्यमयी मंदिर से कम नहीं है. मंदिर में 20,000 से अधिक चूहे है, और चूहों का झूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है. भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है.

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स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात

गुजरात में मौजूद स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर भारत के अविश्वसनीय और रहस्यमय मंदिरों में आता है. कहा जाता है कि ये मंदिर दिन में कुछ समय के लिए पूरी तरह से गायब हो जाता है. गायब होने के बाद इस मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता. ये मंदिर गुजरात में अरब सागर और कैम्बे की खाड़ी के तट के बीच मौजूद है जो हाई टाइड के दौरान रोजाना पानी में डूब जाता है. पानी हटने के बाद इसे फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है. माना जाता है इस मंदिर को भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने बनवाया था.

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उज्जैन का महाकाल मंदिर

उज्जैन को लेकर तमाम रहस्य आज भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि उज्जैन आकाश और धरती का केंद्र है. यहां के एक ही राजा हैं और वो हैं कालों के काल महाकाल. यहां अनेक मंत्र-जप और अनुष्ठान होते हैं. तंत्र क्रियाओं के लिए भी ये जगह जानी जाती है. मान्यताओं के मुताबिक राजा भोज के काल से ही यहां कोई राजा नहीं रुकता है. यहां तक कि बड़े राजनीतिक पद पर बैठे जनप्रतिनिधि भी रात में यहां नहीं रुकते. इसका राज कोई नहीं जानता, लेकिन ऐसी घटनाएं राजनीतिज्ञों और पुराने राजपरिवार से जुड़े लोगों को विवश करती हैं कि वो उज्जैन की सीमा में रात को बिल्कुल भी न रुकें. 

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कामाख्या देवी मंदिर गुवाहाटी

गुवाहाटी के निलाचल पहाड़ी पर मौजूद कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में आता है. इस मंदिर को अपने काले जादू के अनुष्ठानों के लिए जाना जाता है. हर साल मानसून के दौरान मंदिर 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है. माना जाता है कि गर्भग्रह से बहने वाला झरना उन दिनों में लाल हो जाता है. साथ ही भक्तों को प्रसाद के रूप में पत्थर की मूर्ती को ढकने वाला लाल कपड़ा काटकर दिया जाता है।

 

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असीरगढ़ शिव मंदिर, मध्य प्रदेश

महाभारत के अश्वत्थामा को पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के दौरान हुई  एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया. ऐसा कहा जाता है कि पिछले लगभग 5 हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं. मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किमी दूर असीरगढ़ का किला है. कहा जाता है कि इस किले में स्थित शिव मंदिर में अश्वत्थामा आज भी पूजा करने आते हैं. स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं. वे बताते हैं कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई.

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