गरीबों का पेट भरने के लिए यह शख्स चला रहा 24X7 Rice ATM, अब तक खर्च कर चुका है 50 लाख रुपये

रामू दोसापति (Ramu Dosapati) एक कॉर्पोरेट कंपनी में एचआर है और वह हैदराबाद में 24 घंटे राइस एटीएम (Rice ATM) चलाकर जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं. इसके लिए वह अब तक अपनी जेब से 50 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं.

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24 घंटे का चलता है राइस एटीएम

Rice ATM runs for 24 hoursRice ATM runs for 24 hours

रामू दोसापति (Ramu Dosapati) ने लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में राइस एटीएम (Rice ATM) शुरू किया, जो 24 घंटे चलता है.

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कौन हैं रामू दोसापति

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रामू दोसापति (Ramu Dosapati) एक कॉर्पोरेट फर्म में एचआर एग्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत है.

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अपनी पॉकेट से खर्च किए 50 लाख रुपये

Rs 50 lakh spent from his pocketRs 50 lakh spent from his pocket

रामू ने बताया है कि उन्होंने राइस एटीएम चलाने के लिए अब तक अपनी पॉकेट से 50 लाख रुपये खर्च किए हैं और इसे वापस पाने का भी उनका कोई इरादा नहीं है.

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कैसे आया राइस एटीएम का आइडिया

रामू ने बिजनेस इनसाइडर से बात करते हुए बताया है कि लॉकडाउन के दौरान उनका छोटा बेटा अपने जन्मदिन पर चिकन खाना चाहता था. इसके बाद मैं चिकन खरीदने के लिए गया, जहां एक सिक्योरिटी गार्ड को 2 हजार रुपये का चिकन खरीदते देखा. मैंने जब उनसे इतना सारा चिकन खरीदने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वह प्रवासी मजदूरों के लिए चिकन खरीद रहे हैं. इसके बाद जब मैंने उनसे उनकी सैलरी पूछी तो उन्होंने बताया 6 हजार रुपये. फिर मुझे लगा कि जब 6 हजार वेतन वाले लोग जरूरतमंदों के लिए 2 हजार रुपये खर्च कर सकते हैं तो मैं भी ऐसा क्यों नहीं कर सकता.

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प्रवासियों के मदद का किया फैसला

रामू ने बताया है कि सिक्योरिटी गार्ड के कदम से मैं काफी प्रभावित हुआ और उनक साथ हैं उस जगह पर गया, जहां प्रवासी मजदूर थे. यहां पहुंचकर मैंने 192 लोगों की सूची बनाई, जिन्हें राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की जरूरत थी. ये लोग 400-500 किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर अपने घर वापस जाना चाहते थे. इसके बाद मैंने उन्हें यहीं रूकने के लिए कहा और बताया कि मैं उनकी मदद करूंगा.'

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फिर शुरू हुआ राइस एटीएम

इसके बाद रामू ने राइस एटीएम (Rice ATM) खोलने का फैसला किया और शुरुआत में अपनी सेविंग से 1.5 लाख रुपये खर्च कर राशन बांटना शुरू किया. जैसे ही लोगों को राइस एटीएम के बारे में पता चला लोगों की भीड़ जुटने लगी और सेविंग कुछ ही दिनों में खत्म हो गई.

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प्रोविडेंट फंड से निकाले पैसे

रामू ने बताया कि सेविंग के पैसे खत्म होने के बाद मैं पास के राशन दूकान पर गया और उनसे राशन देने का अनुरोध किया. इसके साथ ही मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि मैं अपने प्रोविडेंट फंड से पैसे निकालकर उनका भुगतान कर दूंगा.

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3 बीएचके फ्लैट का था सपना

रामू दोसापति फिलहाल 1 बीएचके फ्लैट में अपनी पत्नी और 2 बेटों के साथ रहते हैं. वह अपने लिए 3 बीएचके फ्लैट खरीदना चाहते थे, क्योंकि बच्चे अपना अलग कमरा चाहते हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए मैंने अपनी गांव की जमीन को 38.5 लाख रुपये में बेच दी और एक 3 बीएचके फ्लैट देख लिया.

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फ्लैट खरीदने का फैसला बदला

रामू बताते हैं कि एक दिन सुबह 6 बजे अपार्टमेंट के गार्ड ने उन्हें जगाया और बताया कि करीब 50-60 लोग उनसे मिलने आए हैं. रामू ने बताया कि जब मैं बाहर गया तो लोगों ने मदद की अपील की. इसके बाद मेरी पत्नी ने मेरा समर्थन किया और मुझे इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए कहा. फिर मैंने फ्लैट खरीदने का सपना छोड़ दिया और सारे पैसे लोगों की मदद में लगा दिए.

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