दिल्ली का Red Fort कैसे बना देश का Power Center, इतिहास के पन्नों में छिपा है राज

नई दिल्ली: 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर लाल किले (Red Fort) में हुई हिंसा ने देश को शर्मसार कर दिया था. किसान आंदोलन (Farmer`s Protest) के नाम हुए एपिसोड ने देश में एक असंतोष को जन्म दिया. दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने आरोपियों के खिलाफ जो कार्रवाई की उसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है. ऐसे में हिंसा के बाद केंद्र सरकार ने 15 अगस्त को लेकर विशेष तैयारी की है. लाल किला फिर सुर्खियों में है तो सवाल उठता है कि हिंदुस्तान की सत्ता के लिए लाल किले की अहमियत क्या है? आइये बताते हैं इस बुलंद इमारत से जुड़े वो किस्से जिनके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी नहीं होगी.

ज़ी न्यूज़ डेस्क Sat, 14 Aug 2021-10:06 am,
1/13

अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम

इस बार 15 अगस्त पर लाल किले (Red Fort) पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं. इस बार विशालकाय कंटेनरों का सहारा लिया जा रहा है. किले के प्रवेश द्वार के पास एक के ऊपर एक करते हुए कंटेनर की दीवार तैयार की गई है. मुगलों (Mughal's) के बाद ब्रिटिश (UK) हुकूमत और फिर आजाद भारत के साथ पुरानी पड़ रही इसकी दीवारों में इतिहास के लम्हों को खोजने की कोशिश करें तो सबसे पहले ध्यान इस तरफ जाता है कि इस लाल किले का निर्माण शाहजहां (Shah Jahan) ने करवाया था.

2/13

मुमताज की मौत के बाद निर्माण

Red Fort ने मुगल सल्तनत का स्वर्णिम युग देखा तो ये उसके पतन का गवाह भी बना. बुलंद इमारत कई राजनीतिक षड्यंत्रों का गवाह रही है. इतिहासकारों ने इससे जुड़ीं जानकारियों के बारे में विस्तार से लिखा है. 1628 में शाहजहां को महसूस हुआ कि आगरा का किला छोटा है. तभी दिल्ली में यमुना तट पर नया किला बनाने का फैसला हुआ. वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना हैं कि बेगम मुमताज महल की मौत के बाद आगरा से बादशाह का मोह भंग हो गया था.

 

3/13

अनसुने किस्से

शाहजहां, साल 1648 की 15 जून को लाल किले में दाखिल हुआ. कहा जाता है कि लाल किले में लाल पत्थर लगाया गया था उसे नदी के रास्ते फतेहपुर सीकरी के पास लाल पत्थर की खान से दिल्ली लाया गया था. इसे लाल किला इसलिए कहा गया क्योंकि ये लाल बलुआ पत्थर से बना था. 

 

पेंटिंग फोटो क्रेडिट: (Social Media)

4/13

प्राचीन तस्वीर

इस किले में इस्लामी, मुगल, फारसी शैली की झलक मिलती है. लाल किले का वो इलाका जहां बादशाह आम लोगों से मिलकर उनके दुख-दर्द सुना करते थे, उसे दीवान-ए-आम कहा गया. वहीं, दीवान-ए-खास में मंत्रियों और अधिकारियों से मुलाकात होती थी.

 

फाइल फोटो क्रेडिट: (सोशल मीडिया)

5/13

इतिहास की किताबों में जिक्र

Red Fort से जुड़ी ऐसी कई कहानियां आपको दिल्ली (Delhi) की ओल्ड लाइब्रेरी या आपके शहर की लाइब्रेरी में मौजूद इतिहास की पुरानी किताबों में जरूर मिलेगी.

6/13

राजनीतिक साजिश का गवाह

दारा शिकोह शाहजहां का बड़ा बेटा था जिसे शाहजहां के बाद गद्दी मिलने वाली थी. शाहजहां को दाराशिकोह से लगाव था. उसने अपने दूसरे बेटों को दूर के इलाकों में राज करने के लिए भेजा लेकिन दारा शिकोह को अपने करीब ही रखा. 

 

 

फोटो क्रेडिट: (ब्रिटिश लाइब्रेरी)

7/13

इतिहास और वर्तमान

दिल्ली के Red Fort ने मुगल सल्तनत के एक लंबे दौर को करीब से देखा है में दो भाइयों के बीच षड्यंत्र और युद्ध भी देखा है.

 

(फाइल फोटो)

8/13

भाई का कत्ल

इतिहास के पन्नों में ये कहानी एक मुगल बादशाह के अंत के बाद उसके साम्राज्य में हुई दुर्गति को भली भांति बयान करती है. 

 

 

9/13

औरंगजेब की मौत के बाद का दौर

औरंगजेब की मौत के बाद मुगल सल्तनत और लाल किले के पलायन का भी दौर आया. 1739 में ईरान के नादिर शाह ने दिल्ली पर हमला बोल दिया. उसने लाल किले से मयूरासन और कोहिनूर हीरा लूट लिया. फिर 'मोहम्मद शाह की मौत के बाद उसका बेटा अहमद शाह दिल्ली का शासक बना. 

10/13

ब्रिटिश राज की शुरुआत

1757 जनवरी में अब्दाली ने मुगलों को हराकर दिल्ली जीत ली. अहमद शाह ने अपने बेटे तैमूर की शादी आलमगीर की दूसरी बेटी से कर दी और अफगानिस्तान लौट गया. उसने आलमगीर को मुगल शासक बनाया. जब आलमगीर की हत्या हो गई तो उसके बड़े बेटे शाह आलम ने खुद को शहंशाह घोषित कर दिया. इसके बाद दिल्ली की सत्ता के इस पावर सेंटर में अंग्रेजों यानी ब्रिटिश हुकूमत की एंट्री हुई. उन्होंने दिल्ली को लॉर्ड लेक के नेतृत्व में उपनिवेश बनाया. इस तरह लाल किले यानी दिल्ली की ताकत ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में चली गई.

11/13

1857 की क्रांति

1837 में बहादुर शाह जफर ने मुगल सल्तनत की बागडोर संभाली. वहीं 1857 में मंगल पांडेय ने छावनी में ब्रिटिश राज के खिलाफ आवाज उठाई. आक्रोश की लहर मेरठ होते हुए दिल्ली पहुंची. विद्रोह की आवाज झांसी, अवध, कानपुर, बिहार और बंगाल से भी उठी लेकिन कोशिश नाकाम रही तो अंग्रेजों ने 4 महीने बाद लाल किले पर फिर कब्जा हासिल किया.

12/13

आखिरी मुगल बादशाह

इसके बाद बहादुर शाह जफर ने दिल्ली से बाहर का रुख किया. उन पर ब्रिटिश राज के प्रति हिंसा भड़काने जैसे कई आरोपों में केस दर्ज हुए तो उन्हें रंगून भेजने के बाद उनके बेटों को मार दिया गया. इसके बाद अंग्रेजों ने लाल किले को एक राजमहल से आर्मी छावनी में तब्दील कर दिया. लाल किला कई युद्धों में क्षतिग्रस्त हो गया था, इसलिए इसकी मरम्मत की गई. दीवान-ए-आम को सैनिकों के लिए अस्पताल में बदल दिया गया. तो दीवान-ए-खास को आवासीय भवन में तब्दील कर दिया गया.

13/13

26 जनवरी के घटनाक्रम से लिया गया सबक

आगे चलकर 1903 और 1911 में लाल किले में दिल्ली दरबार लगाए गए जिनका इतिहास की किताबों में विस्तार से जिक्र है. इसके बाद भारत आजाद होने पर सन 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर राष्ट्रीय झंडा फहराया. वर्तमान में की बात करें तो इसी साल दिल्ली में हुई लाल किले की हिंसा से देश की छवि पर असर पड़ा था. इसलिए सरकार ने इस बार यहां अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किये हैं. 

फोटो साभार: (सोशल मीडिया)

नोट- ( लेख में प्रकाशित जानकारी इतिहास की पुस्तकों से ली गई है.)

 

 

फोटो क्रेडिट: (सोशल मीडिया)

ZEENEWS TRENDING STORIES

By continuing to use the site, you agree to the use of cookies. You can find out more by Tapping this link