Chandigarh : 12वीं तक पढ़ाई और लोन पर कार, जानिए कौन हैं चंडीगढ़ के नए मेयर कुलदीप कुमार
Chandigarh Mayor election dispute : सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद में बड़ा फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप कुमार के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें चंडीगढ़ का मेयर घोषित किया है. आइए जानते हैं कुलदीप कुमार के बारे में कुछ खास बातें.
सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव विवाद में बड़ा फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी कुलदीप कुमार के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें चंडीगढ़ का मेयर घोषित किया है
कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के नेता और वार्ड नंबर 26 से पार्षद हैं. उनकी उम्र 39 साल है. उन्हें पार्टी ने 30 जनवरी को हुए मेयर चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया था. बता दें, कुलदीप ने इस चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था.
चंडीगढ़ में 30 जनवरी को मेयर चुनाव आयोजित किए गए थे. इस चुनाव में बीजेपी के मनोज सोनकर ने जीत दर्ज की थी. चुनाव में सोनकर को 16 तो वहीं, कुलदीप कुमार को 12 वोट मिले थे. वहीं, 8 वोट अवैध घोषित कर दिए गए थे. हालांकि, चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. जहां कोर्ट ने कुलदीप कुमार के पक्ष में फैसला सुनाया है.
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को 12 वोट मिले थे. आठ मतों को गलत तरीके से अमान्य करार दे दिया गया. बाद में ये आठ वोट कुलदीप के पक्ष में पाए गए. इस तरह आठ मतों को जोड़ देने पर याचिकाकर्ता कुलदीप के 20 वोट हो जाते हैं. लिहाजा, आप पार्षद और याचिकाकर्ता कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम के महापौर पद पर निर्वाचित घोषित किया जाता है.
2021 में दिए गए हलफनामे के अनुसार, कुलदीप कुमार कक्षा 12वीं तक पढ़े हुए हैं, उन्होंने साल 2005 में पंजाब बोर्ड से 12वीं पास की थी. उनकी कुल चल व अचल संपत्ति 7 लाख के करीब है. वहीं, उनकी पत्नी के पास भी करीब 1 लाख 66 हजार की संपत्ति है. उन्होंने हलफनामे में कार लोन का भी जिक्र किया है.
आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार के चंडीगढ़ का मेयर बनने पर पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का भी बयान सामने आया है. उन्होंने 'एक्स' पर लिखा- "कुलदीप कुमार एक गरीब घर का लड़का है. INDIA गठबंधन की ओर से चंडीगढ़ का मेयर बनने पर बहुत बहुत बधाई.
साथ ही अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये केवल भारतीय जनतंत्र और माननीय सुप्रीम कोर्ट की वजह से संभव हुआ है. हमें किसी भी हालत में अपने जनतंत्र और स्वायत्त संस्थाओं की निष्पक्षता को बचाकर रखना है.