किस बीमारी के मरीजों को सबसे ज्यादा कोरोना हुआ? सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर कमजोर पड़ चुकी है. इस बीच देश के सामने तीसरी लहर के खतरे से बड़ा एक खतरा खड़ा है. दरअसल, कोरोना से ठीक हो चुके लोग अब दूसरी बीमारियों से घिर चुके हैं. देश में 20 हजार मरीजों की एक स्टडी में ये पता चला है कि दूसरी लहर में बहुत सारे मरीजों को सेकेंडरी इंफेक्शन हुआ, कुछ को बैक्टीरियल इनफेक्शन तो कुछ को फंगल इनफेक्शन ने घेरा.

पूजा मक्कड़ Wed, 30 Jun 2021-7:27 pm,
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दूसरी लहर में कहर बनकर टूटा कोरोना

रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी लहर में मरने वालों की तादाद पहली लहर के मुकाबले 40 गुना ज्यादा रही. अगर आप ये सोचते हैं कि हार्ट पेशेंट को कोरोना से सबसे ज्यादा खतरा है तो ये रिपोर्ट आपकी राय बदल सकती है. बता दें कि कोरोना की चपेट में सबसे ज्यादा वो लोग आए जो डायबिटीज के मरीज थे. आइए जानें कि पहली और दूसरी लहर के विश्लेषण से हमें क्या सबक मिले और हम कैसे तैयार रह सकते हैं.

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पहली के मुकाबले दूसरी लहर थी ज्यादा खतरनाक

कोरोना वायरस से उबरने के बाद लोगों को कौन-कौन सी बीमारियों ने घेरा है. उसकी लिस्ट रोज लंबी होती जा रही है. बहुत से लोग दिल के मरीज हो गए, क्योंकि कोरोना वायरस में खून जमने की समस्या होती है.  फेफड़ों और सांस की बीमारियां बढ़ीं. कई लोगों को डिप्रेशन और तनाव ने घेर लिया. दूसरी लहर में लोगों को बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन ने पहली लहर के मुकाबले ज्यादा घेरा. 

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दूसरी लहर में ब्लैक फंगस के ज्यादा मामले

कोरोना की पहली लहर में 11% मरीजों को सेकेंडरी इंफेक्शन हुआ, वहीं दूसरी लहर में यह संख्या काफी बढ़ गई. दूसरी लहर में 27.6% मरीजों को बैक्टीरियल या फंगल इंफेक्शन हो गया. मैक्स अस्पताल के मुताबिक उनके 10 अस्पतालों में दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस यानी कि ब्लैक फंगस के 169 मरीज भर्ती हुए थे. जिनमें से 17 की जान चली गई. जबकि पहली लहर के दौरान म्यूकोरमाइकोसिस के केवल 10 मरीज भर्ती हुए थे जिनमें से 2 लोगों की मौत हुई थी. डॉ संदीप बुदिराजा (मेडिकल डायरेक्टर, मैक्स हेल्थकेयर ग्रुप) का कहना है कि सेकेंडरी इंफेक्शन ने बहुत से मरीजों की जान ली. जून से अगस्त 2020 के बीच 3.6% मरीजों को सेकेंडरी इंफेक्शन हुआ इनमें से 57% की मौत हो गई. 

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किस बीमारी के मरीज हुए कोरोना के शिकार?

मैक्स अस्पताल में अपने 10 अस्पतालों का डेटा मिलाकर एक अहम स्टडी के जरिए यह जानने की कोशिश की कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में क्या फर्क रहा. स्टडी में कुछ बेहद चौंकाने वाली बातें सामने आईं. स्टडी में पता चला कि पुरानी बीमारियों वाले मरीज जिन्हें कोरोना ने अपना शिकार बनाया उनकी संख्या पहली लहर के मुकाबले 10% ज्यादा थी. दूसरी लहर में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और किडनी की बीमारी वाले मरीज कोरोना के ज्यादा शिकार हुए. आम धारणा के विपरीत दिल के मरीज उतने परेशान नहीं हुए. 

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पूरी स्टडी को ऐसे समझें

- कोरोना की पहली लहर में 43% मरीज ऐसे थे जो कि डायबिटीज के शिकार थे दूसरी लहर में ये संख्या लगभग 45% थी.  - कोरोना की पहली लहर में हाई ब्लड प्रेशर के शिकार 41% मरीज थे जबकि दूसरी लहर में लगभग 44% थे.  - किडनी की बीमारी के शिकार मरीजों की संख्या पहली लहर में 13.6% थी जबकि दूसरी लहर में ये बढ़कर 15.2% हो गई.  - दिल के मरीजों की संख्या पहली लहर में 5.6% थी जो दूसरी लहर में बढ़कर 6.2% हो गई. 

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युवाओं पर दूसरी लहर कहर बनकर टूटी

बता दें कि मैक्स अस्पताल ने अपनी इस स्टडी में 19852 मरीजों को शामिल किया गया. जिसमें पहली लहर के 14398 और दूसरी लहर के 5454 मरीज थे. 14398 में से 4705 यानी 32% केस गंभीर थे. जबकि दूसरी लहर में 5454 मामलों में से 2147 यानी 39% केस गंभीर कैटेगरी के थे. पहली लहर में 4986 केस माइल्ड थे यानी 34% थे जबकि दूसरी लहर में केवल 1416 यानी 26% केस माइल्ड कैटेगरी के थे. 40 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों ने पहली लहर में 1.3% लोगों ने जान गंवाई जबकि दूसरी लहर में 4.1% लोगों की जान इस एज ग्रुप में चली गई. 

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क्यों अहम है ये स्टडी

बता दें कि देश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तुलना करने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी स्टडी है. पहली लहर में अप्रैल से दिसंबर 2020 का वक्त लिया गया जबकि दूसरी लहर के लिए जनवरी से जून 2021 के पीरियड को शामिल किया गया. डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले वक्त में कोरोना से रिकवर हुए मरीज अस्पतालों के चक्कर सबसे ज्यादा काट रहे होंगे. 

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