कौन हैं पद्मश्री लेने पहुंचे 125 साल के बुजुर्ग? जिनके सम्मान में झुक गए PM मोदी

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सोमवार को राष्ट्रपति भवन में पद्म पुरस्कारों प्रदान किए. इन पुरस्कारों को हासिल करने वालों में एक नाम बेहद खास रहा, जो था स्वामी शिवानंद का, जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. स्वामी जब पद्मश्री लेने पहुंचे तो उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को दंडवत प्रणाम कर लिया, इसके बाद पीएम ने भी उसी तरह योगगुरु को प्रणाम किया. आइये जानते हैं कि सादा जीवन बिताने वाले यह बुजुर्ग कौन हैं.

Mar 21, 2022, 20:45 PM IST
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पीएम मोदी को किया दंडवत प्रणाम

दरअसल योग के क्षेत्र में योगदान के लिए स्वामी शिवानंद को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. लेकिन जैसे की राष्ट्रपति भवन में स्वामी का नाम पुरस्कार ग्रहण करने के लिए पुकारा गया, वह सीधे पीएम मोदी के पास जाकर उन्हें दंडवत प्रणाम करने लगे. यह देख पीएम मोदी भी तुरंत अपनी कुर्सी से उठ खड़े हुए और उन्होंने भी उसी मुद्रा में स्वामी का प्रणाम स्वीकार किया.

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तालियों से गूंज उठा हॉल

पीएम मोदी और स्वामी शिवानंद के बीच इस अनोखे अभिवादन को देखकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. हर कोई स्वामी के इस अंदाज से हैरान था. आगे की पक्तियों में पीएम मोदी के आस-पास बैठे मंत्री भी उठकर स्वामी को प्रणाम करने लगे.

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राष्ट्रपति ने स्वीकार किया अभिवादन

इसके बाद 125 साल के स्वामी शिवानंद ने राष्ट्रपति के पास जाकर उन्हें भी दंडवत प्रणाम किया. राष्ट्रपति ने उन्हें नीचे आकर उठाया और कुछ बात करने लगे. इसके बाद स्वामी शिवानंद को राष्ट्रपति की ओर से पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. इस दौरान हॉल में मौजूद गणमान्य लोग अपनी सीट से खड़े होकर अभिवादन करते दिखे.

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कौन हैं स्वामी शिवानंद?

स्वामी शिवानंद का जन्म साल 1896 में हुआ था. फिर वह बंगाल से काशी पहुंचे और वहां सेवा का काम शुरू कर दिया. गुरु ओंकारानंद से शिक्षा लेने के बाद स्वामी शिवानंद ने योग और ध्यान में महारत हासिल की. बताया जाता है कि जब स्वामी की उम्र 6 साल थी तब एक माह के भीतर ही उनकी बहन, मां और पिता की मौत हो गई. लेकिन उन्होंने मोह त्याग कर परिजनों के शव को मुखाग्नि देने तक से इनकार कर दिया था.

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पूरी दुनिया का भ्रमण कर चुके स्वामी

अपने गुरु के निर्देश पर स्वामी शिवानंद ने लंदन से शुरू करके लगातार 34 साल तक पूरी दुनिया का दौरा किया. वह यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, रूस जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं. स्वामी आज भी उबला भोजन खाते हैं और एकदम सादा जीवन जीते हैं. 

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