नई दिल्ली: वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि अब दिल्ली से 'फोन बैंकिंग' नहीं होती है और दिल्ली से बैंकों को फोन नहीं जाता है बल्कि बैंक नियमों एवं कायदों के तहत लोगों को ऋण देते हैं जिसमें सरकार दखल नहीं देती है. वित्त मंत्री ने वित्त विधेयक 2019 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही. जेडीएस सदस्य एवं पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने कर्नाटक में बैंकों द्वारा किसानों की ऋण माफी के संदर्भ में पूर्ण सहयोग नहीं करने की बात कही थी और सरकार से इस मामले में दखल देने का आग्रह किया था.


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पीयूष गोयल ने कहा, ''अब दिल्ली से फोन बैंकिंग नहीं होती. दिल्ली से बैंकों को फोन नहीं जाता है कि क्या करना है, क्या नहीं करना है.'' उनका परोक्ष निशाना पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत यूपीए सरकार पर था. वित्त मंत्री ने कहा कि अब सरकारी बैंक निर्धारित नियमों के तहत काम करते हैं. वह नहीं समझते कि सरकार इस बारे में कुछ कह सकती है. 


कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार की किसानों की ऋण माफी की पहल का जिक्र करते हुए गोयल ने कहा कि कर्नाटक के लोग काफी समय से इसका (वादा पूरा करने का) इंतजार कर रहे हैं. कर्नाटक सरकार किसानों की तड़प को समझे, किसानों को राहत दे. उन्होंने कहा कि हमने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना पर तेजी से पहल शुरू कर दी है और राज्यों से किसानों के आंकड़े मांग रहे हैं. इसमें 2 हेक्टेयर तक की जमीन वाले छोटे किसानों को 6,000 रुपये प्रतिवर्ष का सीधा आय समर्थन दिया जायेगा. करीब 12 करोड़ किसानों को इस योजना से लाभ पहुंचेगा.


उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार से भी आग्रह है कि वह किसानों के आंकड़े दे. वित्त मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के केंद्रबिन्दु में किसान है और सरकार किसानों के कल्याण के लिये कृत संकल्पित है. उन्होंने इस संदर्भ में एमएस स्वामीनाथन के लेख को उद्धृत करते हुए कहा कि स्वामीनाथन ने कहा है कि 2006 में किसान आयोग की रिपोर्ट पेश होने के बाद पहली बार मोदी सरकार के समय किसानों को मजबूत बनाने एवं उनके कल्याण के लिये पहल की गई है.


(इनपुट भाषा से)