कोरोना काल में PM का चौथा वर्चुअल सम्मेलन, ग्लोबल सप्लाई चेन पर रहा फोकस
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड-19 (Covid-19) ने दिखाया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रंखला (Global Supply Chain) का किसी भी एक देश या स्त्रोत पर अत्यधिक निर्भर होना बेहद जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए हम जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के साथ मिल कर काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली : भारत-डेनमार्क वर्चुअल शिखर सम्मेलन (India-Denmark Virtual Summit) में PM मोदी ने कोरोना काल के दौरान दुनिया को राहत देने के लिए कई महत्वपूर्ण संदेश और संकेत दिए हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ महीने पहले भी फोन पर उनकी सकारात्मक बातचीत हुई थी. उस दौरान भी उन्होने कई क्षेत्रों में भारत और डेनमार्क के बीच सहयोग बढ़ाने के बारे में चर्चा की
डेनमार्क से बातचीत में दुनिया को संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि वर्चुअल समिट के माध्यम से दोनों देश अपने महत्वपूर्ण इरादों को नई दिशा और गति दे रहे हैं. पिछले कई महीनो की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विश्व शांति और मानवता को बचाने के लिए समान सोंच वाले सभी देशों को एक साथ काम करना चाहिए. वो देश जहां भारत की तरह कानून आधारित, पारदर्शी व्यवस्था होने के साथ मानवीय मूल्यों पर विश्वास किया जाता हो और लोकतांत्रिक सरकार देश चलाती हो उन्हें मानवता की सेवा के काम में साथ आना चाहिए.
ग्लोबल सप्लाई चेन पर फोकस
पीएम मोदी ने कहा कि कोविड-19 (Covid-19) ने दिखाया है कि वैश्विक आपूर्ति श्रंखला (Global Supply Chain) का किसी भी एक देश या स्त्रोत पर अत्यधिक निर्भर होना बेहद जोखिम भरा हो सकता है. इसलिए हम जापान (Japan) और ऑस्ट्रेलिया (Australia) के साथ मिल कर काम कर रहे हैं. ताकि ग्लोबल सप्लाई चेन की विविधता बरकरार रखने के साथ उसे लचीला बनाने के लिए साथ काम कर रहें हैं.
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दोनों देशों के बीच बढ़ा व्यापार
गौरतलब है कि भारत और डेनमार्क के बीच वस्तुओं और सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार 30.49 प्रतिशत बढ़ गया है. 2016 में 2.82 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2019 में 3.68 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया है. भारत में लगभग 200 डेनिश कंपनियों ने निवेश किया है जबकि डेनमार्क में 25 भारतीय कंपनियां आईटी, अक्षय ऊर्जा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में कार्यरत हैं.
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