नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल दौरा दुनियाभर के मीडिया की सुर्खियों में रहा है. हर देश ने 70 साल बाद किसी भारतीय पीएम के इजरायल दौरे के अलग-अलग मायने निकाले. लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के अखबारों ने इसे कैसे लिया. चलिए हम आपको बताते है. 


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'द् ट्रिब्यून एक्सप्रेस'


पाकिस्तानी अखबार 'द् ट्रिब्यून एक्सप्रेस' ने लिखा कि पाकिस्तान की सरकार मोदी की इस यात्रा पर नजर रख रही है. हालांकि, उसे भारतीय कूटनीति से सीखाना चाहिए कि कैसे इजरायल और धुर विरोधी ईरान के साथ वह अपने संबंधों में संतुलन बनाकर चल रहा है. 


'डॉन'


पाकिस्तान के और प्रमुख अखबार 'डॉन' ने इस खबर को शीर्षक दिया 'इजरायल ने मोदी के स्वागत में लाल कालीन बिछाई, जबकि ईरान ने कश्मीर की बात की'


भारतीय समुदाय से बोले मोदी, इजरायल आने में 70 साल लग गए


पाकिस्तानी टीवी चैनल सिटी '42'


पाकिस्तान के टीवी चैनल 42 का कहना है कि पाकिस्तान को रोकने के लिए इजरायल भारत का सहयोग कर रहा है. 


पश्चिम एशियाई मीडिया 


'अल जजीरा' 


कतर के 'अल जजीरा' ने मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक करार देते हुए नई सरकार की रणनीति में बदलाव का संकेत बताया है. अखबार ने लिखा कि पिछली सरकारों से विपरीत मोदी ने इजरायल पर भरोसा जताया है. 


'येरूशलम टाइम्स'


इजरायली अखबार 'येरूशलम टाइम्स' ने भी मोदी की तेल अवीव यात्रा को इजरायल-भारत संबंधों में बदलाव का संकेत बताया. अखबार ने लिखा 'हाल के वर्षों में किसी का ऐसा स्वागत नहीं हुआ, यहां तक की इस साल डोनाल्ड ट्रंप के आने पर भी इतनी गर्मजोशी नहीं देखी गई थी.'


पश्चिमी जगत के मीडिया में पीएम मोदी का इजरायल दौरा


'न्यूयॉ़र्क टाइम्स' 


अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉ़र्क टाइम्स' ने लिखा कि इस यात्रा में पीएम मोदी ने भी अपने इजरायली समकक्ष की तरह आपसी रिश्तों को फलस्तीन के संदर्भ में देखने की पुरानी परंपरा तोड़ने के उत्सुक हैं. दोनों देश प्रतिकूल परिस्थितियों में कई साझा हितों को लेकर एक-दूसरे के साथ आए है.


नेतन्याहू ने PM मोदी को होटल की खिड़की से टेंपल माउंट की झलक दिखाई


'वाशिंगटन पोस्ट'


वाशिंगटन पोस्ट ने इस दौरे को कवर करते हुए भारत और इजरायल के रक्षा और कारोबारी संबंधों का उल्लेख किया है. 


'डायचे वेले'


जर्मनी के बड़े मीडिया समूह 'डायचे वेले' ने इस खबर को इजरायल के नजरिए से प्रकाशित किया है. 'डायचे वेले' ने पीएम मोदी की इस यात्रा से यहूदी देश जानना चाहता है कि भारत के साथ उसके मधुर संबंध है.