ASEAN Summit 2023:  साल 2000 से पहले भारत की विदेश नीति में पश्चिमी देशों की तरफ झुकाव ज्यादा रहा. हालांकि अटल बिहारी वाजपेयी जब सत्ता में आए तो इस बात की जरूरत महसूस की गई कि भारत को पूर्व के देशों की तरफ देखना चाहिए और इस तरह ईस्ट पॉलिसी जमीन पर उतरी. बदलते समय के साथ ईस्ट पॉलिसी (act east policy) में एक्ट शब्द भी जोड़ा गया ताकि भारत और आसियान देशों के संबंधों को नई ऊंचाई तक पहुंचाया जाय. इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 20 वें आसियान सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी(Narendra Modi in Jakarta) ने उस संकल्प को दोहराया. सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि उन्होंने क्या कहा.


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आसियान भारत के लिए जरूरी


प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जकार्ता में कहा कि हमारा इतिहास और भूगोल भारत और आसियान को एकजुट करता है। इसके साथ ही, हमारे साझा मूल्य, क्षेत्रीय एकीकरण और शांति, समृद्धि और बहुध्रुवीय दुनिया में हमारा साझा विश्वास भी हमें एकजुट करता है. हमारी (India Indonesia Relationship) साझेदारी अपने चौथे दशक में प्रवेश कर रही है. ऐसे समय में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करना मेरे लिए गर्व की बात है. इस वर्ष की थीम आसियान मामले: विकास का केंद्र है. आसियान मायने रखता है क्योंकि यहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है और आसियान विकास का केंद्र है क्योंकि आसियान वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.


पीएम मोदी के बयान के खास अंश


-हमारी साझेदारी चौथे दशक में पहुंच रही है
-भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का केंद्रीय स्तंभ है आसियान
-भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आसियान के नजरिए का समर्थन करता है
-आसियान का भारत की हिंद-प्रशांत पहल में प्रमुख स्थान है
-आसियान वैश्विक विकास में अहम भूमिका निभाता है इसलिए यह विकास का केंद्र है
-वैश्विक अनिश्चितता के माहौल के बावजूद हमारे आपसी सहयोग लगातार बढ़े हैं


चीन को क्यों लगेगी मिर्ची


जानकारों का कहना है कि भारत ने जब से ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर काम करना शुरू किया चीन के साथ तल्खी बढ़ गई. चीन को लगने लगा कि पूर्व के देशों से भारत के बेहतरीन रिश्ते का असर आर्थिक गतिविधियों में नजर आएगा और उसके असर से चीन अछूता नहीं रह सकेगा, लिहाजा चीन की तरफ से तरह तरह की रुकावटें पेश की जाती रही हैं. चीन का ताइवान, फिलीपींस, दक्षिण चीन सागर में अमेरिका के साथ कोई नई बात नहीं है. अब जबकि पीएम मोदी ने आसियान देशों को विकास का केंद्र बताते हुए हिंद प्रशांत महासागर के विकास का जिक्र किया तो स्वाभाविक है कि चीन को यह सब कुछ रास नहीं आने वाली है.