PM Modi at Red Fort: मजहबी कट्टरपंथ पर बोले PM मोदी, कहा- आंधी में चट्टान की तरह डटे रहे गुरु तेग बहादुर
PM Modi address to Nation: पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि एक समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आ गई थी, तब गुरु तेग बहादुर ने आगे आकर सभी को सही राह दिखाई थी. वे मजहबी कट्टरता की आंधी में चट्टान की तरह डटे रहे थे.
PM Modi address to Nation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरुवार को गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व (400th Birth Anniversary of Guru Tegh Bahadur) के मौके पर देश को लालकिले संबोधित किया. इस अवसर पर PM मोदी ने एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया. कार्यक्रम की शुरुआत से पहले पीएम मोदी ने गुरु तेग बहादुर से सम्मान में माथा भी टेका.
कई कालखंडों का साक्षी रहा लालकिला
PM मोदी ने कहा, 'ये लालकिला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है. इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है.
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गुरुद्वारा शीशगंज दिलाता इस बात की याद
साथ ही पीएम ने यह भी कहा कि यहां लालकिले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है! ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था. उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी. धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी. उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी. औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे.
2019 में भी हुए भव्य कार्यक्रम
PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इससे पहले 2019 में हमें गुरुनानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोबिंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का भी अवसर मिला था. मैं इसे हमारे गुरूओं की विशेष कृपा मानता हूं.
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मजहबी कट्टरपंथ पर भी बोले पीएम
संबोधन के दौरान पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि एक समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आ गई थी, तब गुरु तेग बहादुर ने आगे आकर सभी को सही राह दिखाई थी. वे मजहबी कट्टरता की आंधी में चट्टान की तरह डटे रहे थे. इस किले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है.
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