नई दिल्ली: संसद से पारित नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) लगातार 16वें दिन भी जारी है. किसानों के आंदोलन को देखते हुए सभी धरना स्थलों पर भारी संख्या में पुलिस बल लगातार तैनात है. किसानों ने अब आंदोलन को आगे बढ़ाने हुए देश भर में ट्रेन रोकने की धमकी दी है. 


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पीएम ने ट्वीट कर किसानों को समझाने की कोशिश की
वहीं पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने एक बार फिर आंदोलन कर रहे किसानों (Farmers Protest) को समझाने की कोशिश की है. उन्होंने शुक्रवार सुबह ट्वीट करके कहा,'मंत्रिमंडल के मेरे दो सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी और पीयूष गोयल जी ने नए कृषि कानूनों और किसानों की मांगों को लेकर विस्तार से बात की है। इसे जरूर सुनें.' पीएम ने इस ट्वीट के साथ ही पीयूष गोयल और नरेंद्र सिंह तोमर की प्रेस वार्ता के क्लिप का लिंक भी शेयर किया.


 



किसानों पर पीएम की अपील का नहीं हुआ कोई असर
उधर सिंघु बॉर्डर पर जमे पंजाब-हरियाणा के किसानों (Farmers Protest) पर पीएम मोदी की अपील का कोई असर नहीं दिखाई दिया. किसानों ने शुक्रवार सुबह की शुरुआत अरदास के साथ की. वहीं बुराड़ी के मैदान में जमे किसान अपनी ट्रैक्टर टॉलियों में आराम करते और कुछ आग सेंककर आगे के हालात पर चर्चा करते नजर आए. किसानों ने कहा कि सरकार ने यदि तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो देश भर में ट्रेनों के पहिये जाम कर दिए जाएंगे. 


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अमृतसर के किसानों ने दिल्ली कूच शुरू किया
किसानों का कहना है कि जब MSP क्लियर हो जाएगी. उसके बाद वे सोचेंगे कि अपनी फसल आढ़ती को बेचनी है या उससे ऊंचे दामों पर कहीं ओर देनी है. किसानों ने चेतावनी दी कि जब तक मोदी सरकार ये तीनों कानून वापस नहीं लेगी, तब तक यह आंदोलन रूकने वाला नहीं है. उधर दिल्ली में जमे किसानों (Farmers Protest) के समर्थन में पंजाब से दूसरे किसानों के जत्थे भी कूच करने लगे हैं. अमृतसर से भी बड़ी संख्या में किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में राशन भरकर दिल्ली की ओर रवाना हुए हैं. चलने से पहले किसानों ने स्वर्ण मंदिर में अरदास कर आंदोलन के सफल होने की कामना की. 


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गाजीपुर-चिल्ला बॉर्डर पर बैठे किसान बना रहे हैं रणनीति
वहीं गाजीपुर और दिल्ली-नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर जमे पश्चिमी यूपी के किसान (Farmers Protest) भी धरने पर बैठे हुए हैं. शुक्रवार सुबह इन दोनों धरना स्थलों पर शांति बनी हुई है. हालांकि गाड़ियों का आवगमन अब भी बाधित हैं. किसान संगठन एक-दूसरे से बातचीत करने के अलावा सरकार के मन की टोह भी लेने में लगे हैं. किसानों का कहना कि यह उनके जीवन-मरण का सवाल है. सरकार को इस मसले पर झुकना ही होगा. इससे कम उन्हें कुछ भी स्वीकार नहीं होगा.