नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने शुक्रवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 75 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया. इसके अलावा उन्होंने हाल ही में विकसित की गईं 8 फसलों की 17 जैव संवर्धित बीजों को भी राष्ट्र को समर्पित किया.


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कुपोषण के खिलाफ जंग में इनका योगदान
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत के हमारे किसान साथी, हमारे अन्नदाता, हमारे कृषि वैज्ञानिक, हमारे आंगनबाड़ी-आशा कार्यकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का आधार हैं. इन सभी के प्रयासों से ही भारत कोरोना वायरस के इस संकटकाल में भी कुपोषण के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रहा है. इन्होंने अपने परिश्रम से जहां भारत का अन्न भंडार भर रखा है, वहीं दूर-सुदूर, गरीब से गरीब तक पहुंचने में ये सरकार की मदद भी कर रहे हैं.


कुपोषण से निपटने में हो रहा महत्वपूर्ण काम
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है. देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं. यह कार्यक्रम सरकार द्वारा कृषि और पोषण क्षेत्र को दी गई सर्वोच्च प्राथमिकता को समर्पित है और साथ ही भूख, अल्पपोषण और कुपोषण को पूरी तरह से खत्म करने के सरकार के संकल्प को परिलक्षित करता है.


नोबेल शांति पुरस्कार बड़ी उपलब्धि
प्रधानमंत्री ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजे जाने का जिक्र करते हुए इसमें भारत के योगदान का उल्लेख किया. उन्होंने इसमें भारत के प्रशासनिक सेवा अधिकारी बिनय रंजन सेन की भूमिका से सबको अवगत कराया. सेन ने एफओए के महानिदेशक के रूप में 1956 से 1967 तक काम किया था. सेन के कार्यकाल के दौरान ही विश्व खाद्य कार्यक्रम की स्थापना की गई थी. उन्होंने कहा, "एफएओ के विश्व खाद्य कार्यक्रम को इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार मिलना भी एक बड़ी उपलब्धि है और भारत को खुशी है कि इसमें भी हमारी साझेदारी और हमारा जुड़ाव ऐतिहासिक रहा है."


(इनपुट- भाषा)


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