Harmohan Yadav death anniversary: सपा के `वोट बैंक` में सेंध! हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर PM मोदी ने कही ये बात
Narendra Modi accused opposition: सपा के पूर्व दिवंगत नेता हरमोहन सिंह यादव की पुण्यतिथि कार्यक्रम में पीएम मोदी के संबोधन के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में न सिर्फ विपक्ष पर निशाना साधा बल्कि लोहिया के सिद्धांतों का जिक्र कर इशारों में ही सपा को भी निशाने पर लिया.
Samajwadi party vote bank: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व राज्यसभा सदस्य हरमोहन सिंह यादव की 10वीं पुण्यतिथि पर कानपुर में आयोजित कॉन्फ्रेंस को वर्चुअली संबोधित किया. इस कार्यक्रम को बीजेपी के मिशन 2024 से जोड़कर देखा जा रहा है और पार्टी की कोशिश है कि सपा के वोटबैंक माने जाने वाले यादव समाज और पिछड़ा वर्ग को अपने खेमे में शामिल किया जाए. राजनीतिक विश्लेषक भी सपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य के पुण्यतिथि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन को यादव वोटबैंक में सेंध लगाने की बीजेपी की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं.
विपक्ष पर PM मोदी का निशाना
कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने विपक्ष पर विकास कार्यों में अड़ंगा डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले. प्रधानमंत्री ने कहा, 'हाल के समय में विचारधारा या राजनीतिक स्वार्थ को समाज और देश के हित से भी ऊपर रखने का चलन शुरू हो गया है. विपक्षी दल कई बार तो सरकार के कामकाज में सिर्फ इसलिए अड़ंगा डालते हैं, क्योंकि जब वे सत्ता में थे, तब अपने द्वारा लिए गए फैसलों को लागू नहीं कर पाए. अब अगर इन फैसलों का क्रियान्वयन होता है तो वे उसका विरोध करते हैं, देश के लोग इसे पसंद नहीं करते.'
पीएम मोदी ने कहा, 'यह हर राजनीतिक दल का दायित्व है कि वह किसी पार्टी और व्यक्ति के विरोध को देश की मुखालफत में न बदले. विचारधाराओं का अपना स्थान है और होना भी चाहिए. राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं भी हो सकती हैं, लेकिन देश सबसे पहले है.' उन्होंने कहा, 'लोहिया जी का मानना था कि समाजवाद समानता का सिद्धांत है, वह सतर्क करते थे कि समाजवाद का पतन उसे असमानता में बदल सकता है, हमने भारत में इन दोनों परिस्थितियों को देखा है.'
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'हमने देखा है कि भारत के मूल विचारों में समाज वाद-विवाद का विषय नहीं है. हमारे लिए समाज हमारी सामूहिकता और सहकारिता की संरचना है. समाज हमारा संस्कार है, संस्कृति है, स्वभाव है. इसलिए लोहिया जी भारत के सांस्कृतिक सामर्थ्य की बात कहते थे. उन्होंने रामायण मेला शुरू कर हमारी विरासत और भावनात्मक एकता के लिए जमीन तैयार की थी.' पीएम मोदी ने कहा, 'हरमोहन सिंह यादव लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उन्होंने विधान परिषद सदस्य, विधायक, राज्यसभा सदस्य और अखिल भारतीय यादव महासभा के अध्यक्ष के रूप में विभिन्न पदों पर काम किया. हरमोहन सिंह यादव के चौधरी चरण सिंह और राम मनोहर लोहिया के साथ घनिष्ठ संबंध थे.'
उन्होंने कहा कि हरमोहन सिंह यादव ने अपने बेटे और विधान परिषद के पूर्व सभापति सुखराम सिंह के साथ कानपुर और उसके आसपास कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई थी. पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान कई सिखों के जीवन की रक्षा करने में वीरता के प्रदर्शन के लिए हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.
कौन थे हरमोहन सिंह यादव?
हरमोहन सिंह यादव समुदाय के नेता और एक दिग्गज हस्ती थे. वह लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे और उनके बेटे सुखराम सिंह यादव भी राज्यसभा सदस्य थे. प्रधानमंत्री की इस कार्यक्रम में भागीदारी किसानों और पिछड़े वर्गों के लिए दिवंगत नेता के योगदान को सम्मान देने की भी कोशिश है. हरमोहन सिंह यादव ने 31 साल की उम्र में राजनीति में एंट्री ली थी और वह 1952 में ग्राम प्रधान बने. उन्होंने 1970 से 1990 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य और विधायक के अलावा विभिन्न पदों पर काम किया. वह 1991 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए और उन्होंने कई संसदीय समितियों के सदस्य के रूप में काम किया. उन्हें 1997 में राज्यसभा के सदस्य के रूप में दूसरी बार नॉमिनेट किया गया. उन्होंने ‘अखिल भारतीय यादव महासभा’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में भी सेवाएं दी थीं.
वह समाजवादी पार्टी के एक अहम नेता थे और मुलायम सिंह यादव के साथ उनके बहुत करीबी संबंध थे. चौधरी चरण सिंह के निधन के बाद, हरमोहन यादव ने ही यादव महासभा के नेता के रूप में मुलायम सिंह यादव का नाम प्रस्तावित किया था. 1984 के सिख विरोधी दंगों से छह साल पहले, हरमोहन सिंह यादव और उनका परिवार एक नए स्थान पर रहने गए थे, जहां अधिकतर आबादी सिख थी. 1984 के दंगों के दौरान यादव अपने बेटे सुखराम के साथ घर पर थे, उसी दौरान स्थानीय सिख उनके घर शरण मांगने गए और यादव परिवार ने उन्हें हमलावरों के तितर-बितर होने या उनकी गिरफ्तारी होने तक हमले से बचाने के लिए शरण दी.
तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने सिखों के जीवन की रक्षा करने के लिए हरमोहन सिंह यादव को 1991 में शौर्य चक्र से सम्मानित किया था, जो वीरता, साहसिक कार्य या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाने वाला सैन्य सम्मान है.
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