PM Narendra Modi On Manmohan Singh: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की. उच्च सदन में कार्यकाल पूरा करने वाले सदस्यों का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि मैं माननीय डॉ. मनमोहन सिंह जी का स्मरण करना चाहूंगा. वह 6 बार इस सदन में अपने मूल्यवान विचारों से... नेता के रूप में भी और प्रतिपक्ष में भी नेता के रूप में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा. आगे पीएम ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के व्हीलचेयर पर सदन में आने के दिन का जिक्र किया. 


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छींटाकशी तो थोड़े समय के लिए


पीएम ने कहा कि वैचारिक मतभेद, कभी बहस में छींटाकशी, वह तो बहुत अल्पकालिक होता है लेकिन इतने लंबे अरसे तक जिस प्रकार से उन्होंने इस सदन का मार्गदर्शन किया है, देश का मार्गदर्शन किया है... हमेशा-हमेशा जब भी हमारे लोकतंत्र की चर्चा होगी तो कुछ माननीय सदस्यों की जो चर्चा होगी, उसमें माननीय मनमोहन सिंह के योगदान की चर्चा जरूर होगी. इस पर सत्तापक्ष के सदस्यों ने जमकर मेज थपथपाई. 


पीएम ने आगे कहा कि मैं सभी सांसदों से, चाहे इस सदन से हों या उस सदन में हो, जो आज हैं या भविष्य में आने वाले हों... मैं उनसे जरूर कहूंगा कि ये जो माननीय सांसद होते हैं किसी भी दल के हों, जिस प्रकार से उन्होंने जीवन जिया होता है. जिस प्रकार की प्रतिभा के दर्शन उन्होंने कार्यकाल में कराए होते हैं, उसका हमें एक गाइडिंग लाइट के रूप में सीखने का प्रयास करना चाहिए. 



पीएम ने आगे कहा कि मुझे याद है कि उस सदन के अंदर वोटिंग का अवसर था लेकिन... पता था कि विजय ट्रेजरी बेंच की होने वाली है. अंतर भी बहुत था लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह जी व्हीलचेयर पर आए, (नीचे तब की तस्वीर देखिए) उन्होंने वोट किया. मोदी ने कहा कि एक सांसद अपने दायित्व के लिए कितना सजग है उसका वह उदाहरण हैं. वह प्रेरक उदाहरण था. कमेटी मेंबर के चुनाव हुए तो भी वह व्हीलचेयर पर वोट देने आए. सवाल यह नहीं कि वह किसे ताकत देने आए थे. मैं मानता हूं कि वह लोकतंत्र को ताकत देने आए थे. इसलिए मैं आज विशेष रूप से उनके दीर्घायु होने के लिए प्रार्थना करता हूं कि वह निरंतर हमारा मार्गदर्शन करते रहें, हमें प्रेरणा देते रहें.



आगे मोदी ने हंसी के लहजे में कहा कि हो सकता है कुछ लोग आने के लिए जा रहे हों और कुछ लोग जाने के लिए जा रहे हों. 


पीएम ने कहा कि लोकसभा पांच साल के बाद नए रंग-रूप के साथ सज जाती है लेकिन यह सदन हर दो वर्ष के बाद नई प्राण शक्ति प्राप्त करता है. एक नई ऊर्जा प्राप्त करता है. एक नए उमंग और उत्साह का वातावरण भर देता है. इसलिए हर दो साल में होने वाली विदाई एक प्रकार से विदाई नहीं, वे ऐसी स्मृतियों को यहां छोड़कर जाते हैं जो आने वाले बैच के लिए अनमोल विरासत होती है. जिस विरासत को वे अपने कार्यकाल के दौरान और अधिक मूल्यवान बनाने का प्रयास करते हैं.