Maharashtra News: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना के दो गुट ठाणे जिले पर राजनीतिक नियंत्रण की लड़ाई लड़ रहे हैं. बीजेपी इस सियासी मुकाबले पर गहरी नजर रख रही है.


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2 नवंबर को ठाणे में मुंब्रा के शंकर नगर में शिंदे शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा उद्धव शिवसेना की दो दशक पुरानी शाखा को तोड़ दिया गया. इस घटना के बाद राज्य के बीजेपी नेताओं ने खुद को इस झगड़े से दूर कर लिया. शनिवार को, ठाकरे ने मुंब्रा का दौरा किया और शिंदे सेना को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी.


बीजेपी को सता रहा यह डर
हालांकि बीजेपी ने विरोधियों पर कब्ज़ा जमाने की जिम्मेदारी शिंदे गुट पर छोड़ दी है, लेकिन उसे डर है कि अपनाए जा रहे तरीकों का उल्टा असर हो सकता है. पार्टी को यह भी लगता है कि ठाकरे द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा पीड़ित कार्ड ठाणे में उनके पक्ष में राजनीतिक मूड को बदल सकता है.


पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'शिंदे गुट की मनमानी हानिकारक साबित हो सकती है. खासकर, ऐसे समय में जब लोग दिवाली समारोह का आनंद ले रहे हैं.'


पिछले कुछ वर्षों से ठाणे में बीजेपी ने बनाई पैठ
हालांकि अतीत में ठाणे हमेशा से अविभाजित शिवसेना का गढ़ रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बीजेपी ने जिले में अपनी पकड़ बना ली है. सेना के दो गुटों के बीच लड़ाई के बीच, बीजेपी सावधानी से चलना चाहती है और खुद को संगठनात्मक और चुनावी रूप से मजबूत करना चाहती है.


कुछ महीने पहले, बीजेपी ने कल्याण में शिंदे गुट के प्रति खुले तौर पर अपनी निराशा व्यक्त की थी, जिसका प्रतिनिधित्व लोकसभा में मुख्यमंत्री के बेटे श्रीकांत शिंदे करते हैं.


बीजेपी कार्यकर्ता हुए शिंदे गुट से नाराज
बीजेपी कल्याण जिला अध्यक्ष नाना सूर्यवंशी ने तब अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया था. राज्य मंत्री रवींद्र चव्हाण की उपस्थिति में, कल्याण बीजेपी इकाई ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि वे लोकसभा में बीजेपी उम्मीदवार चाहते हैं. शिंदे गुट के खिलाफ बीजेपी के भीतर अशांति को कम करने के लिए बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करना पड़ा.


डिप्टी सीएम और बीजेपी के सीनियर नेता देवेंद्र फड़नवीस को कल्याण में बीजेपी और शिंदे गुट के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए वरिष्ठ बीजेपी मंत्रियों के एक समूह को तैनात करना पड़ा.


ठाणे जिला क्यों मायने रखता है?
महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से, ठाणे जिले में तीन निर्वाचन क्षेत्र - भिवंडी, कल्याण और ठाणे आते हैं. इनमें से प्रत्येक लोकसभा सीट में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इस तरह ठाणे जिले में राज्य के 288 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 18 सीटें आती हैं.


2019 के लोकसभा चुनाव में, भिवंडी सीट बीजेपी के कपिल मोरेश्वर पाटिल ने जीती थी, जो अब केंद्रीय मंत्री हैं. जबकि कल्याण लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे करते हैं, वहीं ठाणे लोकसभा का प्रतिनिधित्व राजन विचारे द्वारा किया जाता है जो उद्धव सेना के प्रति वफादार हैं.


2019 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 18 में से आठ सीटें जीतीं, शिवसेना (शिंदे गुट) ने 5, एनसीपी ने 2, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) और समाजवादी पार्टी ने एक-एक सीट और निर्दलीय ने एक सीट हासिल की.


बीजेपी के आठ विजयी उम्मीदवारों में महेश चौगुले (भिवंडी पश्चिम), किसन कथोरे (मुरबाद), कुमार आयलानी (उल्हासनगर), गणपत गायकवाड़ (कल्याण पूर्व), रवींद्र चव्हाण (डोंबिवली), गणेश नाइक (ऐरोली), मंदा म्हात्रे ( बेलापुर), और संजय केलकर (ठाणे) शामिल हैं.