नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का 89 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने शनिवार रात लखनऊ के SGPGI अस्पताल के अंतिम सांस ली. डॉक्टर्स के अनुसार, कल्याण सिंह के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई. 5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ के मढ़ौली गांव में पैदा हुए कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में शुमार थे. कल्याण सिंह 2 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे थे. एक दौर में कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे. उनकी पहचान हिंदुत्ववादी और प्रखर वक्ता के तौर पर थी. कल्याण सिंह भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी के बाद दूसरे ऐसे नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने के लिए जनता सबसे ज्यादा बेताब रहती थी. ऐसे में इतिहास भी कल्याण सिंह के योगदानों को हमेशा याद रखेगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें:- UP के पूर्व सीएम Kalyan Singh का निधन, पीएम मोदी समेत कई राजनेताओं ने जताया शोक


1980 में भाजपा के जन्म के ठीक दस साल बाद देशभर की राजनीति का माहौल बदलने लगा. ये वही साल था जब 1989-90 में मंडल-कमंडल वाली सियासत शुरू हुई और भाजपा को अपने सियासी बालपन में ही रोड़े अटकने का अहसास हुआ. इस अहसास और संकट के मोचक बनकर निकले कल्याण सिंह. जब आधिकारिक तौर पर पिछड़े वर्ग की जातियों को कैटिगरी में बांटा जाने लगा और पिछड़ा वर्ग की ताकत सियासत में पहचान बनाने लगा तो भाजपा ने कल्याण दांव चला. उस वक्त तक भाजपा बनिया और ब्राह्मण पार्टी वाली पहचान रखती थी. इस छवि को बदलने के लिए भाजपा ने पिछड़ों का चेहरा कल्याण सिंह को बनाया और तब गुड गवर्नेंस के जरिए मंडल वाली सियासत पर कमंडल का पानी फेर दिया था.


राम मंदिर का हीरो, बाबरी का विलेन


वो कल्याण ही थे जिन्होंने भाजपा को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया कि पार्टी ने 1991 में अपने दम पर यूपी में सरकार बना ली. इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में भाजपा के पहले सीएम बने, और फिर राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में एक बनकर उभरे. मुख्यमंत्री बनने के ठीक बाद कल्याण सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर का निर्माण करने की शपथ ली थी. इसी के चलते 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए गया. उस वक्त कल्याण सिंह ही यूपी के सीएम थे. हालांकि सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, उन्होंने कारसेवकों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी थी.


ये भी पढ़ें:- काबुल से भारतीयों के रेस्क्यू के लिए रोज चलेंगी दो फ्लाइट, सरकार को मिली मंजूरी


सरेआम बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए कल्याण सिंह को जिम्मेदार माना गया था. कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी भी ली, और 6 दिसंबर 1992 को ही यूपी के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया. कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि ये सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ. ऐसे में सरकार राम मंदिर के नाम पर कुर्बान हुई. अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने और उसकी रक्षा न करने के लिए कल्याण सिंह को एक दिन की सजा मिली. बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्राहन आयोग का गठन हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट दी, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की आलोचना की. कल्याण सिंह सहित कई नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने मुकदमा भी दर्ज किया था, लेकिन बाद में बरी कर दिया.


LIVE TV