नई दिल्ली: यह रेखांकित करते हुए कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नदियों के प्रदूषण नियंत्रण में राज्य सरकार असफल रही है, राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने नदी संरक्षण कार्ययोजना लागू करने के लिए ‘निष्पादन गारंटी’ के तौर पर पांच करोड़ रुपये जमा करने को कहा है.


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एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत और गाजियाबाद जिलों के प्रभावित लोगों को जलापूर्ति पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दें.


पीठ ने कहा कि अभी तक उत्तर प्रदेश राज्य की गंभीर असफलता और नदियों में प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति से लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों के मद्देनजर, हमें निष्पादन गारंटी के रूप में पांच करोड़ रुपये की राशि दिया जाना उचित लगता है. यह राशि उत्तर प्रदेश सरकार केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को देगी ताकि छह महीने के भीतर कार्य योजना को लागू किया जा सके.


वहीं कार्य योजना सौंपने के लिए गठित समिति ने एनजीटी को बताया कि मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर जिलों में नदियों के प्रदूषण का मुख्य कारण अशोधित सीवेज का नदियों में गिरना है.