Exercise on Eastern Border: इधर भारत ने हाल ही में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ सैन्य तनाव कम करते हुए देपसांग और डेमचोक पॉइंट्स पर सैनिकों की वापसी पूरी की है. उधर भारतीय सेनाओं ने पूर्वी सीमा पर अपनी रणनीतिक तैयारी मजबूत कर दी है. इसी कड़ी में भारत की तीनों सेनाओं ने एक बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास 'पूर्वी प्रहार' शुरू किया है. यह अभ्यास चीन के साथ जारी सीमा विवाद और तनाव की स्थिति को देखते हुए किया जा रहा है. एक्सपर्ट्स का साफ कहना है कि इस अभ्यास से यह क्लियर है कि भारत अपनी सुरक्षा तैयारियों में कोई ढील नहीं देना चाहता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पूर्वी प्रहार: एक मेगा युद्धाभ्यास


असल में 'पूर्वी प्रहार' युद्धाभ्यास 10 नवंबर से शुरू हुआ है और यह 18 नवंबर तक चलेगा. यह अभ्यास सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की चीन से सटी सीमा के आसपास किया जा रहा है. इसका उद्देश्य पूर्वी सीमा पर भारत की एकीकृत रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन करना और भारतीय सेनाओं की युद्ध तत्परता को भी साबित करना है. इस अभ्यास में भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की भागीदारी है, जो इसे एक 'ट्राई सर्विस मिलिट्री एक्सरसाइज' बनाती है.


तीनों सेनाओं का समन्वय


पूर्वी प्रहार में भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना का जॉइंट प्रयास देखने को मिल रहा है. भारतीय वायु सेना ने इस अभ्यास के लिए कोलकाता, हाशिमारा, पानागढ़ और कलाईकुंडा के एयरबेस को सक्रिय किया है. वायु सेना के बेड़े में सुखोई-30एमकेआई, राफेल, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस, हॉक्स और अन्य हेलीकॉप्टर शामिल हैं. इसके अलावा, भारतीय नौसेना के विशेष मार्कोस कमांडो भी इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं, जिससे तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और युद्धकौशल को और मजबूती मिल रही है.


अभ्यास में इस्तेमाल हो रही आधुनिक सैन्य तकनीक


खास बात है कि इस युद्धाभ्यास में अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसमें इन्फैंट्री फाइटर यूनिट्स, आर्टिलरी गन, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर और यूएवी (ड्रोन) शामिल हैं. इनका उद्देश्य पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में युद्ध की संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना है. भारतीय सेना ने सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में विशेष युद्धाभ्यास का आयोजन कर अपनी क्षमताओं को और धार देने की कोशिश की है.





पूर्वी मोर्चे पर भारत की सशक्त तैयारी


डिफेंस एक्सपर्ट्स का कहना है कि पूर्वी प्रहार का आयोजन ऐसे समय पर हो रहा है जब चीन के साथ तनाव कम करने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन साथ ही भारत अपनी सुरक्षा तैयारियों को लेकर पूरी तरह सतर्क है. इस अभ्यास का मकसद सिर्फ तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना ही नहीं है, बल्कि पूर्वी सीमा पर किसी भी संभावित खतरे का सामना करने के लिए एक सशक्त रक्षा स्थिति तैयार करना भी है.