अदम्य साहस की कहानी! गोली लगने के बाद भी आतंकियों को मार गिराया, शहीद हवलदार अब्दुल माजिद को कीर्ति चक्र
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 80 सशस्त्र बलों के जवानों को वीरता पुरस्कारों देने का ऐलान किया है. इनमें से 12 वीर शहीदों को यह सम्मान दिया जाएगा है.
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 80 सशस्त्र बलों के जवानों को वीरता पुरस्कारों देने का ऐलान किया है. इनमें से 12 वीर शहीदों को यह सम्मान दिया जाएगा है. वीरता के इन नायकों में हवलदार अब्दुल माजिद का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा, जिन्होंने अपने प्राणों की कीमत पर दुश्मनों का मुकाबला किया.
पिछले साल 22 नवंबर को जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में जंगली इलाके में 9 पैरा स्पेशल फोर्सेज के हवलदार अब्दुल माजिद एक सर्च ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे. इस ऑपरेशन के दौरान ही 63 आरआर के कैप्टन एमवी प्रणजल घायल हो गए. अब्दुल ने तुरंत उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया. इसके बाद उन्होंने एक गुफा के पास मोर्चा संभाला, जहां आतंकवादी छिपे हुए थे.
आतंकवादियों का डटकर किया सामना
आतंकवादियों की गोलीबारी में घायल होने के बावजूद अब्दुल ने एक ग्रेनेड फेंककर छिपे आतंकवादी को बाहर निकलने के लिए मजबूर किया. जब वह अपने दल पर खतरा महसूस किया, तो वह बहादुरी से आतंकवादी की ओर बढ़े और उसे मार गिराया. इस दौरान उन्हें गंभीर चोटें आईं, जिनके कारण वह शहीद हो गए. अपने अदम्य साहस और वीरता के लिए अब्दुल माजिद को मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जाएगा है.
कैप्टन अंशमन सिंह
डॉक्टर अंशमन सिंह 26-पंजाब के साथ सियाचीन ग्लेशियर क्षेत्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में तैनात थे. 19 जुलाई, 2023 को वहां आग लग गई, जिसमें उन्होंने एक फाइबरग्लास झोपड़ी को आग की लपटों में घिरा देखा. उन्होंने 4-5 लोगों को बचाने में मदद की. फिर वे आग के हवाले चिकित्सा जांच कक्ष में घुसे, जो महत्वपूर्ण चिकित्सा सहायता बॉक्स लाने के लिए भी जल रहा था. लेकिन तेज हवाओं के बीच भारी आग के कारण वे बाहर नहीं निकल सके. उनकी शहादत के लिए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया है.
कैप्टन एमवी प्रणजल
63 राष्ट्रीय राइफल कोर ऑफ सिग्नल के कैप्टन एमवी प्रणजल एक छोटी निगरानी टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जब उनका सामना दो आतंकवादियों से हुआ. राजौरी जिले में दोनों ने उन्हें भी देखा. वहां मौजूद महिलाओं और बच्चों के लिए खतरे को भांपते हुए कैप्टन प्रणजल ने उनकी सुरक्षा की, क्योंकि आतंकवादियों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं. कम सुरक्षा के बावजूद उन्होंने आतंकवादियों से लोहा लिया और अतिरिक्त सैनिकों के आने तक उनसे संपर्क बनाए रखा. बाद में वह बंदूक की गोली लगने से शहीद हो गए. नागरिकों की जान बचाने और आतंकवादियों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने के लिए, जिससे उनका सफाया हुआ, उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.
हवलदार पवन कुमार
55 राष्ट्रीय राइफल ग्रेनेडियर्स के हवलदार पवन कुमार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 27 फरवरी, 2023 को एक ऑपरेशन का हिस्सा थे. कमरे में घुसने के अभ्यास के दौरान, उन्होंने हाथ से हाथ का मुकाबला करते हुए एक आतंकवादी को मार गिराया और दूसरे को घायल कर दिया, लेकिन खुद शहीद हो गए. असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया जाएगा है.