President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी. टक्कर एनडीए की द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के बीच है. दोनों दिग्गज अलग-अलग पार्टियों के नेताओं से मुलाकात कर उनसे अपने पक्ष में वोट की अपील कर रहे हैं. इसी कड़ी में यशवंत सिन्हा 9-11 जुलाई तक असम दौरे के दौर पर रह सकते हैं. असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के प्रमुख भूपेन बोरा ने कहा कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के 9-11 जुलाई तक असम दौरे की संभावना है. इस बीच, असम का प्रमुख राजनीतिक दल ऑल इंडियन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यशंवत सिन्हा को झटका दे सकता है. 


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दरअसल, बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाला ऑल इंडियन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट चुनाव में एनडीए के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन कर सकता है.  अजमल इसके संकेत दे चुके हैं. असम में,ऑल इंडियन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट दूसरा प्रमुख विपक्षी दल है जिसके पास 15 विधायक और एक लोकसभा सांसद है.


कांग्रेस ने पिछले साल का विधानसभा चुनाव एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करके लड़ा था, लेकिन चुनावी हार के तुरंत बाद कांग्रेस ने एआईयूडीएफ से नाता तोड़ लिया. 


असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भूपेन बोरा ने क्या कहा?


असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के प्रमुख भूपेन बोरा ने इस मामले में एआईयूडीएफ से किसी तरह का संपर्क होने से इनकार किया है. वहीं, उन्होंने कहा, यशवंत सिन्हा किसी से भी मिल सकते हैं और पार्टी का कोई भी नेतृत्व उनसे मिल सकता है. हमारा किसी अन्य पार्टी से कोई संपर्क नहीं है और किससे मिलना है, यह पूरी तरह से उनकी (सिन्हा की) पसंद होगी. कांग्रेस के तीन सांसद और 24 विधायक हैं, जिन्होंने सिन्हा को वोट देने का फैसला किया है.


बोरा ने कहा, कांग्रेस ने पहले ही यशवंत सिन्हा को वोट देने का फैसला कर लिया है और हमारी पार्टी के कार्यकर्ता उनके राज्य के दौरे के दौरान उनके साथ होंगे. असम कांग्रेस ने भी रायजर दल के प्रमुख अखिल गोगोई और माकपा नेता मनोरंजन तालुकदार को सिन्हा के प्रचार में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने का फैसला किया है. हालांकि, यह पता चला है कि एपीसीसी ने इस अभियान की होड़ में राज्य के किसी अन्य राजनीतिक दल को आमंत्रित नहीं किया है.


संख्या के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू के आराम से चुनाव जीतने की संभावना है. शुरू से ही, राजनीतिक पंडितों का मानना रहा है कि मुर्मू के यशवंत सिन्हा के खिलाफ चुने जाने की संभावना अधिक है, क्योंकि वह एक महिला हैं और आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं.


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