नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी शनिवार से इजरायल और फलस्तीन के छह दिन की आधिकारिक यात्रा शुरू करेंगे। इस प्रकार मुखर्जी इन दो प्रतिद्वंद्वी देशों क दौरा करने वाले भारत के पहले राष्ट्रप्रमुख बन जाएंगे और यह यात्रा उन्हें तनाव कम करने के लिए वहां के नेतृत्व को प्रभावित करने का अवसर देगी।


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अपने दौरे के पहले चरण में, राष्ट्रपति जार्डन जाएंगे जहां वह इराक के मोसुल शहर में आईएसआईएस द्वारा पकड़े गये 39 भारतीयों की रिहाई सुनिश्चित करने में मदद के लिए फिर से अपील करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे।


जार्डन की दोदिवसीय राजकीय यात्रा के बाद राष्ट्रपति 12 अक्तूबर को फलस्तीन और फिर 13 अक्तूबर से तीन दिन की यात्रा पर इजरायल जाएंगे।


राष्ट्रपति के जार्डन के प्रवास के दौरान, भारत दोनों देशों के बीच व्यापार बढाने के अवसर तलाशेगा क्योंकि जार्डन भारतीय कंपनियों को उस क्षेत्र में संचालन शुरू करने के आधार के रूप में काम कर सकता है।


मुखर्जी दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से बीते 65 वर्ष में वहां की यात्रा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्रपति होंगे। इससे पहले राजीव गांधी 1988 में प्रधानमंत्री के तौर पर जार्डन गये थे।


राष्ट्रपति शाह अब्दुल्ला से मिलेंगे और द्वितीय संबंधों तथा आपसी हितों के क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेंगे। वह जार्डन विश्वविद्यालय भी जाएंगे और छात्रों तथा संकाय सदस्यों को संबोधित करेंगे। वह भारतीय राजदूत द्वारा अम्मान में आयोजित एक समारोह में भी भाग लेंगे।


फलस्तीन के दौरे पर राष्ट्रपति फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, प्रधानमंत्री रमी हमदल्ला और प्रमुख दलों के नेताओं से मुलाकात करेंगे।


इसके बाद राष्ट्रपति इजरायल जाकर वहां की संसद को संबोधित करेंगे जो किसी भ्रमणकारी नेता के लिए दुर्लभ सम्मान है।