नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों की भूमिका की सराहना करते हुए श्रम को ‘ईश्वर’ करार दिया और अपनी बात के समर्थन में संत रविदास की एक उक्ति को दोहराया. कोविंद ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन केन्द्रीय कक्ष में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अपने अभिभाषण में कहा, ‘देश में चौतरफा विकास के लिए हो रहे इन कार्यों में हमारे श्रमिक भाई-बहन, हमारे लघु और मध्यम उद्यमी, हमारे इंजीनियर, हमारे ऑडिटर, डॉक्टर, शिक्षक, वैज्ञानिक और हर पेशे तथा व्यवसाय से जुड़े लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है.’


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उन्होंने कहा कि ये सभी जिम्मेदार नागरिक संत रविदास के इस कथन को चरितार्थ करते हैं कि परिश्रम ही सबसे बड़ी पूजा है...‘श्रम कउ ईसर जानि कै/ जऊ पूजहि दिन रैन / रैदास’ तिन्हहिं संसार मह, सदा मिलहि सुख चैन.’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘यानि श्रम को ही ईश्वर जानकर जो लोग दिन-रात श्रम की पूजा करते हैं उन्हें संसार के सभी सुख-चैन प्राप्त होते हैं.’ इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि पिछले चार साल के दौरान नागर विमानन क्षेत्र ने दहाई अंकों में वृद्धि की है.


उन्होंने बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि नागर विमानन क्षेत्र में देश तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है. पिछले चार वर्ष से लगातार इस क्षेत्र ने 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है.


उन्होंने कहा कि 2017-18 में 12 करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों ने हवाई यात्रा की है. इस संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. यह बदलाव, बढ़ते हुए भारत की एक झलक पेश करता है. ‘उड़ान योजना’ के अंतर्गत लोगों को 12 लाख सीटें कम कीमत पर उपलब्ध हुई हैं. इसके कारण आज साधारण परिवार के लोगों को भी हवाई जहाज में उड़ने का अवसर मिल रहा है.


राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साढ़े चार साल के दौरान देश में तीन सौ से ज्यादा नये पासपोर्ट केंद्र शुरू किये गये हैं. वर्ष 2014 से पहले देश में 77 पासपोर्ट सेवा केन्‍द्र थे. अब उनकी संख्या बढ़कर 400 से ज्यादा हो गई है. अब लोगों को पासपोर्ट बनवाने के लिए बार-बार बड़े शहरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते.