Prime Minister TB Free India Campaign: भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी दोनों ही स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार कई योजनाओं के जरिए मरीजों को सुविधाएं दे रही है ताकि इस बीमारी से लड़ने में उनकी मदद हो सके. सरकाई की नई योजना के मुताबिक अब आप टीबी मरीज़ को गोद ले सकेंगे और उनके लिए आपको पोषण आहार भेजने होंगे. सरकार से इतर अब कोई प्राइवेट कंपनी, संस्थान, जनप्रतिनिधि या फिर को भी शख्स किसी टीबी मरीज को गोद ले पाएंगे. अगर कोई बड़ी तादाद में जैसे ब्लॉक, जिला स्तर पर मरीजों को गोद न ले पाए तो किसी एक मरीज को भी गोद लिया जा सकता है.


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2030 तक टीबी को खत्म करने का लक्ष्य


अगर कोई कंपनी, संस्था या फिर शख्स चाहे तो वह ब्लॉक या जिले में जितने भी मरीज हों सभी को कोई एक ही व्यक्ति गोद ले सकता है या फिर वह किसी एक मरीज़ को गोद ले सकता है. लोक भागीदारी को बढ़ाने के मद्देनजर शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 'प्रधानमंत्री TB मुक्त भारत अभियान" की शुरुआत करेंगी. इस कैंपेन के तहत 2030 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है.


एक मरीज़ को गोद लेने पर हर महीने 1000 रुपये कीमत वाली न्यूट्रिएंट्स किट मरीज को भेजनी होगी. इस किट में न्यूट्रीशन वैल्यू के हिसाब से महीने भर के पोषण आहार की जानकारी वेबसाइट पर मौजूद होगी कि क्या-क्या और कितना मात्रा में होना चाहिए. कभी-कभी उस मरीज से कॉल करके हाल चाल भी लेना इस कैंपेन के मकसद में शामिल है. Nutrional Support के अलावा गोद लिए हुए मरीज को  Additional Support भी किया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर कोई जांच अगर उस मरीज़ को करवानी है तो उसकी मदद की जा सकती है.


मरीज को गोद लेने के क्या नियम?


स्कीम के तहत एक मरीज़ को कम से कम सालभर और अधिकतम 3 साल तक गोद लिया जा सकता है. मरीज़ को गोद लेने के लिए NIKSHAY 2.0 वेब पोर्टल पर जाकर मरीज़ के यूनिक नंबर (जिसमें उसके नाम या एड्रेस जिससे पहचान पता चलती हो, वो जानकारी नहीं होगी) पर क्लिक करने पर कोई भी टीबी डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर से कनेक्ट हो जाएंगे और वो अधिकारी आपको उस मरीज़ की डिटेल्स देंगे. लेकिन वेबसाइट पर गोद लेने वाले शख्स को अंडरटेकिंग देनी होगी कि वह मरीज़ की पहचान उजागर नहीं करेंगे.


फिलहाल देश में करीब 13 लाख 51 हजार टीबी के मरीज़ हैं और हर साल लगभग देश में 20 से 25 लाख टीबी के मरीज़ रिपोर्ट होते हैं. अनुमान के मुताबिक लगभग 83% ठीक हो जाते हैं. अभी टीबी के कुल मरीजों में से करीब 9 लाख ने गोद लिए जाने को लेकर सहमति दी है. टीबी के लिए लड़ाई को जनभागीदारी से जोड़ने के मकसद से सरकार ने यह पहल की है ताकि समाज आगे आकर इन मरीजों की मदद कर सके और मरीज बीमारी को हराने में कामयाबी हासिल कर पाएं. 



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