Congress News: कांग्रेस में प्रियंका गांधी का कद और बढ़ने जा रहा है. प्रियंका गांधी अब सिर्फ यूपी की प्रभारी ही नहीं रहेंगी. उनको केंद्रीय टीम में लाने की तैयारी चल रही है. सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी कार्यकारी अध्यक्ष या राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाई जा सकती हैं.


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यूपी की जिम्मेदारी संभालने के लिए कांग्रेस नए नेता की तलाश कर रही है. यह खबर ऐसे समय पर आई है, जब प्रियंका गांधी ने इसी साल होने वाले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है. प्रियंका गांधी सोमवार को एमपी के दौरे पर हैं. उन्होंने जबलपुर में नर्मदा तट पर पूजा-अर्चना की. इसी के साथ सूबे में कांग्रेस के प्रचार अभियान की शुरुआत भी हो गई है. 


बीजेपी पर बोला हमला


इस दौरान प्रियंका गांधी ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, बड़े-बड़े महल बन रहे हैं, जहां पर पैसा लगाना चाहिए, वहां पर पैसा नहीं लगता. बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं. डबल इंजन और ट्रिपल इंजन की सरकारें बहुत देखी हैं. कर्नाटक और हिमाचल में उनको करारी शिकस्त मिली. जनता की कमर महंगाई ने तोड़ रखी है. 


साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाया गया था. उनको यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.  2019 लोकसभा चुनाव में उन्होंने पार्टी के लिए खूब रैलियां और प्रचार किया. लेकिन कांग्रेस उस स्तर पर प्रदर्शन नहीं कर पाई, जिसकी उसे उम्मीद थी. कुछ ऐसा ही हाल 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी रहा. लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत के बाद से पार्टी के हौसले बुलंद हैं. इसके बाद अब पार्टी बाकी राज्यों में भी कर्नाटक का प्रदर्शन दोहराना चाहती है. 


बता दें कि जबलपुर को मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी माना जाता है. प्रियंका की यात्रा के लिए शहर में कई जगह बजरंगबली के कट आउट लगाए गए हैं. जबलपुर राज्य के महाकोशल क्षेत्र का केंद्र है और यहां आदिवासी मतदाताओं संख्या बहुत ज्यादा है. 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने आठ जिलों के इस संभाग में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 13 सीटों में से 11 पर जीत हासिल की जबकि शेष दो सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी.


बीजेपी ने बताया चुनावी हिंदू


वहीं राज्य सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने प्रियंका गांधी पर तंज कसा है. उन्होंने कहा कि प्रियंका गांधी चुनावी हिंदू हैं, जिन्हें चुनाव के समय मंदिर, गंगा और नर्मदा मैया की याद आती है. प्रदेश की जनता कांग्रेस के इस पाखंड को अच्छी तरह समझती है. मेरा यही कहना है कि संस्कार धानी की जगह किसी और शहर को चुन लेतीं, संस्कार धानी आ रही हैं और ऐसे लोगों के साथ मंच शेयर कर रही हैं जो महिलाओं को आइटम बोलते हैं. कहीं टंच माल बोलते हैं. नर्मदा मैया और गंगा मैया की याद आपको चुनाव के समय ही आती है.


क्या हैं समीकरण


मध्य प्रदेश भौगोलिक रूप से छह क्षेत्रों महाकोशल, ग्वालियर-चंबल, मध्य भारत, निमाड़-मालवा, विंध्य और बुंदेलखंड में विभाजित है. महाकोशल या जबलपुर संभाग में जबलपुर, कटनी, सिवनी, नरसिंहपुर, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और छिंदवाड़ा जिले शामिल हैं और इसमें 38 विधानसभा सीटें हैं.


पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनमें से 24 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा 13 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही थी. एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी.


वहीं, 2013 के चुनावों में भाजपा ने 24 सीटें जीतीं और कांग्रेस को सिर्फ 13 सीटों पर जीत मिली थी. 2018 में महाकोशल में जीत के बाद कांग्रेस कमलनाथ की अगुआई में मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सक्षम बनी लेकिन, मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद यह सरकार गिर गई.