प्रवासी मजदूरों के धीमी पंजीकरण गति पर Supreme Court ने जताई नाराजगी, कहा- सरकार के प्रयासों से संतुष्ट नहीं
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि हम असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों (Migrant Workers) के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है, इसे तेज किया जाना चाहिए. हम इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच सोमवार को प्रवासी मजदूरों (Migrant Workers) के मसले पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने असंगठित क्षेत्रों में मजदूरों के पंजीकरण की धीमी प्रक्रिया पर नाराजगी जताई और कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों से संतुष्ट नहीं हैं.
तेज किया जाना चाहिए पंजीकरण: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, 'प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है, इसे तेज किया जाना चाहिए ताकि योजनाओं के लाभ उन तक पहुंच पाएं. योजनाओं के लाभ प्रवासी मजदूरों को उनकी पहचान किए जाने और उनके पंजीकरण के बाद ही मिल सकते हैं.'
'सरकार सुनिश्चित करे कि योजनाओं का लाभ कामगारों को मिले'
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि योजनाओं का लाभ प्रवासी कामगारों सहित सभी पात्र लोगों को मिले और पूरी प्रक्रिया की निगरानी की जानी चाहिए.
कार्यकर्ताओं ने दाखिल की याचिका
बता दें क पीठ तीन मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दाखिल आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रवासी कामगारों को खाद्य सुरक्षा, कैश ट्रांसफर, परिवहन सुविधा और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश केंद्र और राज्य सरकारों को देने का अनुरोध किया गया है.
कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से विस्तार से जानकारी मांगी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आपदा प्रबंधन कानून के तहत राहत कार्यों में शामिल लोगों सहित कोरोना वायरस से मरने वालों के परिवारों को 4 लाख रुपए के अनुग्रह राशि के भुगतान पर भी केंद्र से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा कि कोरोना से मरने वाले लोगों को केंद्र ने सहायता राशि पहुंचाई या नहीं इस पर विस्तार से जानकारी दें.
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