नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (Agriculture Laws) के विरोध में देश के किसान सड़कों पर हैं. ये आंदोलन सुनियोजित तरीके से चल रहा है. किसानों (Farmers) की सुविधाओं का पूरा ख्याल भी रखा जा रहा है. सुबह के नाश्ते से लेकर दोपहर के खाने तक, फिर शाम के नाश्ते से लेकर रात के खाने (Food) तक का पूरा इंतजाम किया गया है. ऐसे में सवाल ये है कि किसानों को ये सुविधाएं कौन मुहैया करा रहा है?


पेस्ट, ब्रश से लेकर साबुन तक ला रहे लोग


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प्रदर्शन (Protest) कर रहे किसानों को सारा सामान कहां से मिल रहा है, Zee news ने ग्राउंड जीरो से इस बात का पता लगाने की कोशिश की. UP बॉर्डर (UP Border) से आंदोलन में जुड़े किसानों को सुबह दातुन, पेस्ट, ब्रश और साबुन मुहैया कराया जाता है. किसानों ने ये सभी सामान दिखाते हुए बताया कि ये सबकुछ स्थानीय लोग ही हमें लाकर दे जाते हैं. किसानों (Farmers) का कहना है कि सुबह-सुबह उन्हें शौच और नहाने को लेकर परेशानी तो होती है, लेकिन आम लोग उनकी मदद कर देते हैं. इनमें से कई किसानों के रिश्तेदार आस पास रहते हैं तो किसान नित्य क्रिया के लिए अपने रिश्तेदारों के यहां जाते हैं, फिर आंदोलन (Protest) में शामिल हो जाते हैं.


नाश्ते में मिल रहा चाय-बिस्किट, बर्गर


सुबह के नाश्ते की बात करें तो इसमें भी आम लोग ही किसानों (Farmers) की मदद कर रहे हैं. दिल्ली के सूर्य नगर के रहने वाले चार दोस्त विक्रम चौधरी, जतिन कपूर, जसमीत,और हरमीत सिंह रोज सुबह 6 बजे के करीब अपनी गाड़ी से UP गेट पहुंच जाते हैं और आंदोलन में मौजूद किसानों के लिए कभी चाय-बिस्किट, कभी बर्गर लेकर आते हैं. इनका कहना है कि 10 से 12 दोस्त चंदा इकट्ठा करके किसानों के नाश्ते का इंतजाम करते हैं. किसानों तक नाश्ता पहुंचा रहे इन लोगों ने ये भी बताया कि इनके परिवार भी किसानी करता है इसलिए ये किसानों (Farmers) की मदद के लिए आते हैं.


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गुरुद्वारे से आता है खाना


आस पास के गुरुद्वारों से भी श्रद्धालु पैसा इकट्ठा कर के किसानों के लिए चाय पकौड़ों का इंतजाम कर रहे हैं. बड़े-बड़े थाल में  किसानों (Farmers)  तक खाना लाया जाता है. राज नगर एक्सटेंशन के सतविंदर सिंह जग्गी गुरुद्वारे से चाय और ब्रेड पकौड़ा बांटने रोज यहां आतें है. वही उनके साथी इस ठंड में आंदोलन (Protest) की जगह चाय बनाते हैं. इस तरह सुबह की चाय पहुंचाई जाती है.


अपने गांव से सामान ला रहे किसान


इसके साथ ही जो किसान (Farmers) अलग-अलग जगहों से आंदोलन में हिस्सा लेने आ रहे हैं, वो अपने गांव से भी कुछ ना कुछ लेकर पहुंच रहे हैं ताकि आंदोलन (Protest) सुनियोजित तरीके से चल सके.


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