Pune Housing Society Notice: बढ़ती आबादी के बीच कम होती जमीन के चलते पूरी दुनिया में ऊंची-उंची इमारतों (High-rise Towers) का चलन बेहद तेजी से पॉपुलर हुआ. महानगरों की चुनौतियों के बीच इन बहुमंजिला इमारत में रहने वालों के लिए सबसे जरूरी सुविधा लिफ्ट (Lift) मानी गई. अब इसी लिफ्ट को लेकर पुणे की एक हाउसिंग सोसायटी (Housing Society) में लगे एक नोटिस ने इंटरनेट का पारा बढ़ा दिया है.


समाज को बांटने का आरोप


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घरेलू कामगारों यानी सोसायटी हेल्पर्स (Society Helpers) के लिए लिफ्टों को अलग करने की बहस सोशल मीडिया (Social Media) की सुर्खियों में बनी हुई है. पुणे की सोसायटी के इस नोटिस में सभी पालतू जानवरों को घुमाने वालों, घरेलू नौकरों और अन्य सभी सेवा कर्मियों से कहा गया है कि वो सिर्फ नोटिस में बताई गई लिफ्ट का ही उपयोग करें. इसके बाद इसे भेदभाव वाला फैसला बताते हुए इसकी जमकर आलोचना हो रही है.


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आप भी पढ़िए नोटिस


एक ट्विटर यूजर संदीप मनुधाने द्वारा साझा की गई एक तस्वीर एक लिफ्ट के दरवाजे की है जिसके बाहर लगे नोटिस में लिखा है कि घरों में काम करने वाली मेड सिर्फ लिफ्ट C या D का इस्तेमाल करें'. वहीं इसके बगल में चिपके पेपर में लिखा है कि 'दूध वाले, अखबार देने वाले हॉकर, कूरियर डिलीवरी बॉय, लेबर, 'D' लिफ्ट का उपयोग करें. इस पोस्ट पर उन्होंने कैप्शन दिया कि इंसानों का बंटवाटा करना भारतीयों का स्वाभाविक गुण है. पुणे के पॉश इलाके में रहने वालों ने इसे साबित कर दिया.



प्रतिक्रियाओं का दौर जारी


इस ट्वीट ने बहुत से लोगों का ध्यान खींचा तो लोग इस पर अपने अपने हिसाब से प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कुछ लोगों ने कहा कि ये सामान्य चलन है जो देश के कई हिस्सों में चल रहा है. किसी ने इसे कोरोना काल के कोविड प्रोटोकॉल से जोड़ कर देखा तो किसी ने कुछ और कहते हुए इस फैसले का बचाव किया.



अजब-गजब तर्क


एक यूजर ने लिखा, 'ये फैसला इसलिए किया गया होगा क्योंकि हमारी बिल्डिंग के टॉप फ्लोर से नीचे आने में 15 मिनट तक लग जाते हैं. वहीं कुछ बच्चे और बुजुर्ग लोग पालतू जानवरों से डर जाते हैं.  कभी-कभी युवाओं को फोबिया हो जाता है और ये साधारण बात है इसका इश्यू बनाने की जरूरत नहीं है.'