Qatar Indian Prisoners Verdict: आखिरकार वही हुआ, जिसकी उम्मीद की जा रही थी. कतर को 8 भारतीयों को मौत की सजा देने का अपना फरमान रद्द करना पड़ा. वहां की एक अदालत ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों को यह सजा सुनाई थी लेकिन मोदी सरकार की कोशिशें रंग लाईं. खास बात यह है कि अपने लोगों की जान बचाने के लिए परदे के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ऐक्टिव थे. विदेश मामलों के एक्सपर्ट सुशांत सरीन ने इसे स्पष्ट रूप से इंडियन डिप्लोमेसी की जीत बताया है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि भारत सरकार ने अपनी तमाम राजनीतिक और कूटनीतिक शक्तियों का इस्तेमाल किया. कतर की सरकार के साथ परदे के पीछे चुपचाप बातचीत हुई. उसे मीडिया में सार्वजनिक नहीं किया गया. इसमें प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और वहां हमारा दूतावास... इस कार्रवाई में शामिल थे. 



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जब कुछ हफ्ते पहले दुबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी की मुलाकात हुई थी तभी लगने लगा था कि बात बन जाएगी. अब बताया गया है कि कतर की अपीलीय अदालत ने सजा कम कर दी है. मामला गोपनीय और संवेदनशील होने के कारण ज्यादा जानकारी नहीं दी गई है. उन आठ परिवारों ने राहत की सांस ली है, जिनके अपने कतर की जेल में बंद हैं. इस घटनाक्रम को भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. आखिर मोदी सरकार ने यह कैसे किया, हर कोई जानना चाहता है. 


दरअसल, कतर और भारत के रिश्तों की भूमिका इस मामले में अहम थी. सुशांत सरीन कहते हैं कि कतर को भी मालूम था कि जिस तरह की सजा उनके कोर्ट ने सुनाई है, एक ऐसे जुर्म में, जिसके बारे में अभी तक लोगों को पता ही नहीं है क्योंकि किसी ने कुछ नहीं देखा है. कतर को भी मालूम है कि अगर भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को इस तरह से मौत की सजा देते हैं तो भारत और कतर के रिश्ते गड्ढे में चले जाएंगे. 



एक्सपर्ट ने कहा कि कतर भी ऐसा नहीं चाहता था. भारत सरकार ने अच्छा काम यह किया कि कतर की न्याय व्यवस्था को ताक पर नहीं रखा... अक्सर कूटनीतिक लेवल पर ही इन मामलों को देखा जाता है लेकिन यहां दोनों ट्रैक्स पर भारत सरकार ने ऑपरेट किया. उन्होंने यह भी कहा कि अभी आधी जंग ही हुई है. अभी तो यह हुआ है कि इनके ऊपर जो तलवार लटक रही थी वो हट गई है लेकिन अब भी वे जेल में हैं. कोशिश यह होगी कि इन्हें जल्द से जल्द भारत लाया जाए. 


कतर से भारतीयों को लाने के दो रास्ते


एक्सपर्ट सुशांत सरीन ने कहा कि कतर की न्याय प्रणाली को ही आगे यूज किया जाएगा. कतर के साथ भारत के रिश्तों का भी इस्तेमाल होगा. इसमें दो विकल्प नजर आते हैं. पहला, भारत और कतर के बीच एक संधि है कि अगर कतर में अदालत ने कोई सजा दे रखी है तो आरोपी भारत में आकर अपनी सजा काट सकता है. अगर ऐसा होता है तो वे भारत की न्याय प्रणाली के तहत आएंगे और केस चल सकता है. दूसरा विकल्प यह है कि कतर के राजपरिवार के पास यह अधिकार होता है कि वह माफी दे दे. अगर ऐसा होता है तो भी वे वापस आ सकते हैं. 


अब पूरा मामला जान लीजिए


नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था और कतर की एक अदालत ने अक्टूबर में उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. सभी भारतीय नागरिक दोहा की ‘दहारा ग्लोबल’ कंपनी के कर्मचारी थे. यह निजी कंपनी कतर के सशस्त्र बलों और सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण और अन्य सेवाएं प्रदान करती है. उनके खिलाफ आरोपों को कतर के अधिकारियों ने सार्वजनिक नहीं किया था. 


'दुनिया मानती है मोदी का लोहा'


भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने कहा कि कतर की अदालत का फैसला प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के तहत कूटनीतिक प्रयासों की जीत है. चुघ ने कहा कि इस घटनाक्रम ने फिर स्पष्ट कर दिया है कि पूरी दुनिया मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति का लोहा मानती है. इन आठ पूर्व नौसैनिकों में कैप्टन नवतेज गिल भी शामिल हैं, जिन्हें राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था जब उन्होंने नौसेना अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. इन पूर्व नौसैनिकों में कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, एस पकाला और नाविक रागेश शामिल हैं.