नई दिल्ली: राफेल सौदे को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच फ्रांस ने गुरुवार को कहा कि ऑफसेट साझेदार चुनने के लिए उस पर “किसी तरह का दबाव नहीं था” और दावा किया कि करार के संरक्षण के लिये उसकी व्यवस्था में अंतर सरकारी समझौते से “ज्यादा मजबूत कुछ नहीं” है.


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फ्रांसीसी सरकार का यह दावा बहुप्रतीक्षित सीएजी रिपोर्ट के संसद में पेश किये जाने के बाद आया है जिसमें कहा गया है कि मोदी सरकार फ्रांस की दसॉल्ट से 36 लड़ाकू विमान संप्रग शासन के दौरान 2007 में प्रस्तावित दाम से 2.86 फीसदी सस्ते में खरीद रही है.


चुनिंदा पत्रकारों के एक समूह से यहां बात करते हुए भारत में फ्रांसीसी राजदूत अलेक्जेंडर जीग्लर ने दावा किया कि उनके देश की व्यवस्था में अंतर सरकारी समझौते से मजबूत कुछ नहीं जो करार को संरक्षण देता है. सौदे को लेकर फ्रांस सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, “हमारी व्यवस्था में जब एक सरकार अपने नाम से कोई सौदा करती है तब हम एक सरकार के तौर पर आपूर्ति, कीमत के लिये जिम्मेदार हैं.”