Raj Thackeray:`अगर मुझे सौपेंगे बागडोर तो...` राज ठाकरे के दिल की बात जुबां पर आई
Maharashtra Chunav: मनसे नेता ने अपनी पार्टी के घोषणापत्र के बारे में कहा कि वह केवल वही चीजें लिखेंगे जो वह पूरा कर सकते हैं
Maharashtra Vidha Sabha Chunav: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे की पार्टी का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी से गठबंधन नहीं है लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी का समर्थन किया था. लिहाजा बीजेपी कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का समर्थन कर रही है. मसलन माहिम सीट पर राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे चुनाव लड़ रहे हैं उस सीट पर बीजेपी ने तो उनको समर्थन दिया है लेकिन सहयोगी एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना ने अपना प्रत्याशी उतारा है.
कुल मिलाकर राज ठाकरे विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति (देवेंद्र फडणवीस-एकनाथ शिंदे-अजित पवार) के साथ खड़े दिख रहे हैं. उन्होंने महा विकास अघाड़ी (शरद पवार-उद्धव ठाकरे-कांग्रेस) पर जमकर हमला बोला है. उन्होंने शरद पवार को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि शरद पवार ने केवल बारामती के विकास के लिए काम किया. उन्होंने अन्य इलाकों की उपेक्षा की.
राज ठाकरे ने बुधवार को लातूर जिले के रेनापुर में मनसे उम्मीदवार संतोष नागरगोजे (लातूर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र) के समर्थन में आयोजित चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पवार ने राज्य के मराठवाड़ा या विदर्भ क्षेत्रों में ऐसा करने के बारे में सोचने के बजाय केवल पुणे जिले के गृह तालुका बारामती में उद्योग स्थापित किए.
शरद पवार केवल एक तालुका के नेता
ठाकरे ने आरोप लगाया, ‘‘शरद पवार ने 40 वर्षों से अधिक समय तक राजनीति में रहने और बारामती में कई उद्योग लाने के बावजूद कभी महाराष्ट्र के व्यापक हितों के बारे में नहीं सोचा.’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘मुख्यमंत्री के तौर पर पवार से पूरे राज्य के लिए एक दृष्टिकोण रखने की उम्मीद की जाती थी. वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे और केंद्रीय कृषि मंत्री भी रहे. बारामती को देखिए वहां कितने उद्योग पनपे हैं. क्या इनमें से कुछ मराठवाड़ा और विदर्भ में स्थापित नहीं किए जा सकते?’’
मनसे प्रमुख ने कहा कि इतने सारे अवसर मिलने पर भी व्यक्ति केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र के बारे में ही सोचता है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘उन्हें (पवार को) महाराष्ट्र का नेता कैसे कहा जा सकता है? वह एक तालुका के नेता हैं.’’
जाति और आरक्षण की राजनीति
ठाकरे ने आरोप लगाया कि मराठवाड़ा के लोग हिंदुत्व विचारधारा के अनुयायी थे, लेकिन 1999 में एनसीपी अस्तित्व में आई और शरद पवार ने जाति की राजनीति शुरू कर दी. उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं और युवा नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों में जा रहे हैं, लेकिन इन प्रमुख मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए दल जाति और आरक्षण से जुड़े मुद्दों को उछाल रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है. युवा खेती-किसानी की ओर नहीं जा रहे हैं, विश्वविद्यालय बेकार साबित हो रहे हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ गए हैं. महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं था.’’ ठाकरे ने कहा कि लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से भटकाने के लिए जाति और आरक्षण के मुद्दे को उछाला जा रहा है. उन्होंने कहा कि मराठवाड़ा के युवा नौकरी के लिए पुणे और मुंबई की ओर जा रहे हैं, जो शर्मनाक है.
ठाकरे ने मराठा आरक्षण मुद्दे पर कहा, ‘‘वर्ष 2000 के आसपास आरक्षण की मांग को लेकर रैली निकाली गई थी. उस समय शिवसेना, एनसीपी, भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने आंदोलनकारियों से मुलाकात की थी और उन्हें आरक्षण देने का वादा किया था. फिर सत्ता में होने के बावजूद उन्हें आरक्षण देने से किसने रोका था?’’ मनसे अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हाल ही में भी विरोध रैलियां निकाली गईं. लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसलिए सवाल बना हुआ है कि यह आरक्षण कैसे दिया जा सकता है. सच्चाई यह है कि यह नहीं दिया जा सकता क्योंकि इसके लिए कानूनों में बदलाव करना होगा.’’
सरकार के पास जब नौकरियां नहीं तो आरक्षण कहां से देंगे
उन्होंने कहा कि अब, लोगों को उनसे पूछना चाहिए जो कहते हैं कि वे आरक्षण देंगे, यह कैसे दिया जा सकता है? ठाकरे ने कहा, ‘‘हाल ही में, मैं कुछ मराठा समुदाय के युवाओं से मिला जो अपने समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे थे. मैंने उनसे कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के पास कोई नौकरी नहीं बची है, इसलिए वे आपको आरक्षण कैसे देंगे.’’
उन्होंने कहा, ‘‘एकजुट रहने के बजाय हम दूसरे समुदायों के लोगों के प्रति नफरत पाल रहे हैं. यहां मुद्दे नौकरियां और शिक्षा हैं, जो हर किसी को मिलनी चाहिए... अगर लोग राज्य की बागडोर मुझे सौंपते हैं, तो राज्य में एक भी युवा बेरोजगार नहीं रहेगा.’’
(इनपुट: एजेंसी भाषा के साथ)