वक्त के साथ बदलने लगा अजमेर में होली का रंग, वो परंपराएं जो अब घर से बाजार पहुंच गई
अजमेर : होली के इस त्यौहार में कभी घर पर पोले पापड़, चिप्स बनाकर मेहमानों को परोसा जाता था. लेकिन अब समय के अभाव और छोटे होते परिवार के चलते इन पोले पापड़ ने घरों के साथ-साथ बाजारों में भी अपनी जगह बना ली है.
अजमेर : होली का त्यौहार नजदीक आने के साथ ही बाजारों में रौनक लौटने लगी है, होली के इस त्यौहार में कभी घर पर पोले पापड़, चिप्स बनाकर मेहमानों को परोसा जाता था. लेकिन अब समय के अभाव और छोटे होते परिवार के चलते इन पोले पापड़ ने घरों के साथ-साथ बाजारों में भी अपनी जगह बना ली है. जहां इनकी डिजाइन में भी परिवर्तन हो गया । यह पापड़ जब बाजारों की ओर आने लगे तो इनकी तादाद और वैरायटी में भी परिवर्तन हो गया.
अजमेर के कवनडसपूरा के साथ-साथ अलग-अलग दुकानों पर 30 से 40 वैरायटी के पापड़ देखे जा सकते हैं, जिनकी खरीदारी भी लगातार बढ़ रही है. यह पापड़ राजस्थान के लघु उद्योग के जरिए तैयार होने के साथ-साथ गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से भी पहुंच रहे हैं इसमें अलग-अलग आकार और वैरायटी के पापड़ और पोले देखने को मिल रहे हैं. जिन्हें काफी शौक से खरीदा जा रहा है, दुकान पर खरीदारी के लिए पहुंचे उपभोक्ताओं का कहना है कि आजकल दौड़ती भागती जिंदगी में कोई मेहनत नहीं करना चाहता और किसी के पास समय भी नहीं है और परिवार भी छोटे होने लगे हैं ऐसे में अगर रेडीमेड चीज मिल जाए तो उसे कौन नहीं खरीदेगा. ऐसे में यहां अलग-अलग वैरायटी भी मिल जाती है और मेहमानों को यह परोसने में भी आसानी होती है, इसी के चलते इनकी खरीदारी लगातार बढ़ रही है.
दुकानदार संदेश ने बताया कि हर वर्ष यह पोले पापड़ दुकानों पर मिलते हैं लेकिन कुछ मुख्य त्यौहारों पर इनकी तादाद बढ़ जाती है उन्होंने कहा कि होली, शीतला सप्तमी जैसे त्यौहार ओर रमज़ान पर इनकी बिक्री काफी बढ़ जाती है. लोग बड़े ही चाव से इन्हें घर पर ले जाकर तल कर खाते हैं और यह लंबे समय तक चलते हैं, और खराब भी नहीं होते इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में इनकी बिक्री हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले केवल मक्का चावल के पापड़ बाजारों में देखे जाते थे लेकिन अब हर अनाज और व्यंजनों के पापड़ चिप्स बाजार में उपलब्ध है इन्हें अलग-अलग रंगों और डिजाइन में भी तैयार किया जा रहा है जिससे यह दिखने में भी शानदार नजर आते हैं.