Akshaya Tritiya 2024: तीर्थ नगरी पुष्कर में खुले बद्रीनारायण मंदिर के कपाट, दर्शन को उमड़ा आस्था का सैलाब
Ajmer News: अक्षय तृतीया के अवसर पर तीर्थ नगरी पुष्कर में स्थित बद्रीनारायण मंदिर के कपाट खुले. ऐसे में आज मंदिर में भगवान के दर्शन को भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. बड़ी संख्या में लोगों ने भगवान के दर्शन किए.
Badrinarayan Temple, Ajmer: अक्षय तृतीया के अवसर पर भगवान विष्णु के चतुर्थ अवतार नर और नारायण की तपोभूमि उत्तराखंड में बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ देशभर के बद्रीनाथ मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की परंपरा है. आज से ही चार धाम की यात्रा का शुभारंभ पौराणिक काल से माना जाता है. इसी के तहत कस्बे के बड़ी बस्ती और छोटी बस्ती स्थित प्राचीन बद्रीनाथ मंदिरों में तीन पहर की विशेष पूजा अर्चना आयोजित की गई. प्रातः 5:00 बजे दोनों मंदिरों में पंचामृत से भगवान बद्रीनाथ का अभिषेक किया गया. चंदन लेपन कर मंदिरों में मंगला आरती की गई और भक्तों को पंचामृत का प्रसाद वितरित किया गया. दोपहर 12:00 बजे दोनों मंदिरों में विशेष आरती का आयोजन किया गया. इस दौरान भक्तों ने बड़ी संख्या में भगवान के दर्शन किए. मंदिरों में दोपहर में हुई आरती के बाद श्रद्धालुओं को ककड़ी और चने की दाल का विशेष प्रसाद वितरित किया गया.
400 साल पुरानी परम्परा का निर्वहन
बद्रीनारायण मंदिर के पुजारी शिवस्वरूप महर्षि, विजय स्वरूप महर्षि और ज्योति स्वरूप महर्षि ने बताया कि आज पूरे दिन मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुला रहेगा. तीन समय विशेष आरती की जाती है. भगवान के कपाट खुलने के साथ ही चने की दाल और ककड़ी का भोग लगाकर प्रसाद भक्तों में वितरित किया गया. पुजारी बताते है कि वह कई पीढ़ियों से इस 400 वर्ष पुराने मंदिर की परम्पराओं का निर्वहन कर रहे है. इसी तरह बड़ी बस्ती स्थित प्राचीन बद्रीनारायण मंदिर में भी आज दिन भर विशेष पूजा अर्चना और महाआरती का दौर चला. शाम को होने वाली आरती के बाद दोनों मंदिरों में मीठे चावल और दूध की नुकती का प्रसाद वितरण किया गया. इस दौरान पुजारी मुकेश पाराशर, राजकुमार पाराशर, कमल पाराशर, निर्मल पाराशर, रविकांत पाराशर, अमित पाराशर, सुमित पाराशर मौजूद रहे.
राजस्थान का पुष्कर अष्टभु बैकुंठ में शामिल
गौरतलब है कि करीब 400 सालों से पुष्कर के दोनों मंदिरों में इन परंपराओं का निर्वाह किया जा रहा है. पंडित रविकांत शर्मा ने बताया कि वैष्णव मतावलंबियों के अनुसार इस भूलोक पर 8 बैकुंठ हैं, जहां भगवान विष्णु का सदैव निवास बताया गया है. उत्तराखंड स्थित बद्रीनाथ और राजस्थान का पुष्कर इन अष्टभु बैकुंठ में शामिल है. इसी कारण से अक्षय तृतीया का विशेष महत्व माना जाता है.
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