Ajmer: सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरग़ाह शरीफ़ में ईद उल अजहा के मौके पर खुला जन्नती दरवाजा . इस दरवाजे निकलने वाले से अक़ीदमन्दों की भीड़ नजर आई . परंपरा के अनुसार जन्नती दरवाजा. ईद उल अजहा के ख़ास मोके पर बहार से आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है. इसी परंपरा के अनुसार सुबह तड़के 4:30 बजे यह दरवाजा खोला गया.


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जियारत के लिए बेकरार नजर आए जायरीन


जन्नती दरवाजा खुलने के बाद जायरीनो की आवक में और तेजी हो गई. दरगाह जियारत को पहुंचे जायरीन जन्नती दरवाजा से जियारत करने के लिए बेकरार नजर आए. जायरीन सिर पर मखमल की चादर और फूलों की टोकरी लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. 


सिर्फ चार बार खुलता है दरबाजा


हाजी शेखजादा वशीम चिश्ती ने बताया कि ग़रीब नवाज़ की दरगाह में परम्परा के अनुसार दरगाह में स्थित जन्नती दरवाजा साल में 4 बार खुलता है. सबसे अधिक 6 दिन के लिए गरीब नवाज के उर्स के मौके पर. इसके बाद एक दिन ईद उल फितर ( मीठी ईद ) के मौके पर, एक दिन ईद उल अजहा (बकरा ईद) के मौके पर और एक दिन ख्वाजा साहब के पीर (गुरु ) हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है.


Reporter- Abhijeet Dave


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