ajmer news: इंसानियत के साथ कभी भी अपराध कर जेल की सलाखो के पीछे पहुंचें अजमेर सेंट्रल जेल के कैदी अब एक अलग मुकाम हासिल कर रहे हैं. कैदियो के हाथो से अब रचनात्मकता और कलात्मक उत्पदो का निर्माण हो रहा है. बंदी सुधार कार्यक्रम के तहत अजमेर सेंट्रल जेल में सज़ायाफ़्ता कैदी विभिन्न उपायो को बनाया जा रहा है जो दैनिक उपयोग की है. ऐसे ही उत्पदो की प्रस्तुति आज जिला सेशन कोर्ट में लगाई गई. जिला न्यायधीश संगीता शर्मा ने इसका उद्घाटन करने के साथ ही निरीक्षण भी किया और काफी प्रभावित भी हुई. 


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कैदियो की और से बनाए गए उत्पाद गुणवत्ता की कसौटी पर भी खरे उतर रहे हैं. इनमे मसाला, दरी पट्टी, सजावटी सामान साहित विभिन पेंटिंग शामिल है. सेंट्रल जेल अजमेर में कठोर कारावास के सजा भुगत रहे महिला पुरुष कैदियो की ओर से इन उत्पदो का निर्माण बंदी कल्याण कोष के लिए करवाया जा रहा है. इसमे जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल के प्रयास भी काफी अहम है जिन्होनें कैदियो की मानसिकता को बदलते हुए स्वरोजगार और कौशल विकास की भावना का बधाया जिसके कारण आज उन्हें सम्मान और प्रशंसा मिल रही है. 


इसके लिए कैदियों को 180रुपए का दैनिक भत्ता भी दिया जा रहा है जो इनके कल्याण कोष में जमा हो रहा है और जरूरत पड़ने पर इन्हें दिया जाएगा. अदालत परिसर में आयोजित इस प्रदर्शनी में न्यायिक अधिकारियों सहित वकीलों ने भी जमकर खरीददारी की और कैदियों के इस हुनर की तारीफ करते हुए उनका हौसला भी बढ़ाया. जीवन सिर्फ गलती और उसकी सजा मिलने तक ही सीमित नहीं, बल्कि उसके साथ ही अपने अंदर व्यवहारिक सोच को बदलकर समाज हित में खुद को उपयोगी बनाना भी होता है जो इन कैदियों ने अपनी इस कला के जरिए समाज के सामने रखने की कोशिश की है.


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