Bhilwara : यूरिया की किल्लत के बीच जहां किसान बाजारों से महंगी खाद खरीदने को मजबूर हैं. वही जिले के फूलियाकलां उपखंड मुख्यालय पर एक बुजुर्ग किसान दंपति ने गाय के गोबर और गौ मूत्र (Cow dung and urin) से जैविक खाद (Organic Fertilizers) बनाकर ऑर्गेनिक खेती (Organic Farming) की और अपनी आमदनी (Profit) को बढ़ाया. रासायनिक खाद से की गई पैदावार की अपेक्षा इस खाद से तैयार की गई, फसल में अच्छी पैदावार हुई और गुणवत्ता में भी सुधार हुआ.


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80 वर्षीय किसान दंपति सुरेंद्र कुमार नागर और विमला देवी ने बताया कि खेती में नवाचार करते हुए प्रयोग किया गया. राज्य सरकार की ओर से पीकेईवाई (PKEY Scheme) योजना में तीन साल पहले खेत पर केंचुआ खाद बनाने की यूनिट लगाई थी.  किसान दंपति तीन साल से जैविक खाद का उपयोग कर रहे है. गेहूं , मेथी , मूंग , उड़द , तिलहन के साथ पपीता का भी उत्पादन किया जा रहा है. पपीता की स्वदेशी किस्म पूसा नन्हा की पौध खुद तैयार करके 300 पौधे लगाए गए हैं जिनसे अब फल मिलने लगे हैं. इस पपीता को भीलवाड़ा, अजमेर और टोंक में सप्लाई किया जा रहा है.


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किसान दंपति ने रासायनिक खाद के दुष्परिणाम देखकर सबसे पहले एक बीघा जमीन में नवाचार किया. अधिक पैदावार मिलने पर अब 8 बीघा जमीन पर जैविक खाद का उपयोग कर पैदावार बढ़ाई गई है. फसल को रोगों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशक की जगह गौ मूत्र से निर्मित जीवामृत दवा तैयार की गई है.  किसान दंपति कृषि एवं उधान विभाग (Agriculture Department)की विभिन्न योजनाओं की जानकारी और प्रशिक्षण के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा भी ले चुके है. नागर दंपति ने खेती के साथ साथ विभिन्न नस्ल की करीब 12 गाय भी पाल रखी है जिनके गोबर एवं गौ मूत्र से खाद बनाकर वो ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं.


Report : Dilshad Khan