Bewar News: रक्षा बंधन की तरह ही भैया दूज भी भाई-बहन के अटूट बंधन और स्नेह का पर्व है. गोवर्धन पूजा के अगले दिन यानी रविवार को शहर में भाई दूज मनाई गई. बहनों द्वारा भाई को पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार तिलक कर उनकी दीर्घायु की कामना की गई. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है. भाई-दूज को शास्त्रों में स्नेह पर्व कहा गया है. इस दिन भगवान चित्रगुप्त की भी पूजा की जाती है. 

 

इस दिन यम के दस नामों का स्मरण करना भी श्रेयस्कर रहता है. इस दिन बहिनों द्वारा भाई को विशेषकर स्नेह दिया जाता है. ब्यावर में भी बहिनों द्वारा नौ ग्रहों के प्रतीक स्वरूप नौ दीप प्रज्वलित कर ईश्वर की आराधना कर मनोकामना की गई. भाई-दूज के दिन बहनें भाई को कुमकुम का तिलक कर साथ में अपने हाथों से बनाया भोजन कराती है. मान्यता अनुसार कुछ बहनों द्वारा भाई को पान खिलाया गया. 

 

कहा जाता है कि जो बहिनें इस दिन अपने भाई को पान खिलाती है उनका सौभाग्य अखंड रहता है और भाई को यमलोक का भय नहीं रहता. घर के दक्षिण दिशा में तेल का दीपक जलाने से भाई-बहन के प्रेम और सौहार्द में वृद्धि होती है. 

 


 

रविवार को शहर में कायस्थ समाज की और से भाई दूज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस दौरान कायस्थ समाज के लोगों ने भाईयों को तिलक लगाकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना की. इस दौरान भाईयों ने भी बहिनों को जीवनभर रक्षा का वचन दिया. भाई दूज के मौके पर कायस्थ समाज के लोगों ने कमल दवात की भी पूजा अर्चना की.

 

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