अजमेर: अरूणाचल प्रदेश में भारत चाइना बॉर्डर पर सेना के वाहन के खाई में गिरने से शहीद हुए किशनगढ़ के ग्राम टुकड़ा निवासी भागचंद गुर्जर को उनके पैतृक गांव राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. गमगीन माहौल में परिजन सहित जनप्रतिनिधियों ने शहीद भागचंद गुर्जर के पार्थिव देह को पुष्प चक्र अर्पित कर वीर की शहादत को याद किया. शहीद के 10 वर्षीय पुत्र यश ने अपने पिता को जब मुखाग्नि दी तो वहाँ मौजूद हर किसी की आंख भर आई. सांसद भागीरथ चौधरी,विधायक सुरेश टाक उपखंड अधिकारी परसाराम सैनी व पुलिस उपाधीक्षक मनीष शर्मा सहित अधिकारी मौजूद रहे.


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इससे पहले शहीद भागचंद का पार्थिव देह बुधवार रात को किशनगढ़ पहुंचा था. जहां, किशनगढ़ के मार्बल सिटी हॉस्पिटल के ड्रिप फ्रिज में उसको रखा गया. सवेरे शहीद भागचंद गुर्जर का पार्थिव देह हरमाड़ा चौराया से पैतृक गांव टुकड़ा वाहन के काफिलों के साथ ले जाया गया. इस दौरान पूरे रास्ते लोग शहीद भागचंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते रहे. बड़ी संख्या में लोग वीर सपूत की अंतिम यात्रा के गवाह बने. भागचंद गुर्जर अमर रहे के जयघोष से आसमान गूँजता रहा.


बता दें शहीद के दो बच्चे हैं और चार भाइयों में वह सबसे छोटे थे. वे अरूणाचल प्रदेश में भारत चाइना बॉर्डर पर भारतीय सेना की 21 वीं राजपूत बटालियन में नायब सूबेदार के पद पर तैनात थे. बुधवार रात 8 बजे के करीब गुवाहाटी आसाम से पार्थिव शरीर फ्लाइट से जयपुर पहुंचा.


डेढ़ साल बाकी थे सेवानिवृति में
ग्राम टुंकडा निवासी भागचंद गुर्जर (34) जसकरण गुर्जर ने 12 वीं कक्षा तक पढाई की. वह 10 वीं पास करने के बाद से ही सेना भर्ती की तैयारी में जुट गए. इसके बाद 2010 में भारतीय सेना में भर्ती हो गए. उन्हें भारतीय सेना में देश की सेवा करते हुए 11 साल हो गए और उनकी सेवानिवृति में सिर्फ ढेड साल ही बचा था.


घटना से पहले परिवार के साथ बिताकर लौटा था जवान


शहीद भागचंद एक माह के लिए छुट्‌टी पर घर आए थे और परिवार के साथ हंसी-खुशी दिन बिताकर 15 दिन पहले ही वापस ड्यूटी पर लौट गए. लेकिन परिवार के किसी भी सदस्य ने यह नहीं सोचा था कि उनका लाडला अब कभी लौटकर घर वापस नहीं आएगा. चार भाइयों में सबसे छोटे थे भागचंद, तीन भाई मजदूरी और पिता खेती करते हैं.


शहीद भागचंद चार भाई है वे चारों भाइयों में सबसे छोटे हैं. उनके तीन भाई मार्बल एरिया में मजदूरी का काम करते हैं. पिता जसकरण गांव में ही खेती बाडी का काम करते हैं. माता कमला देवी और पत्नी माया गृहिणी है.


मासूम बच्चों के सिर से उठा पिता का साया
शहीद भागचंद के दो छोटे-छोटे बच्चे हैं,यह दोनों ही टूंकडा की ही सरकारी स्कूल में पढाई कर रहें हैं. लड़का यश 5वीं व लडकी लक्ष्मी पहली कक्षा में पढाई कर रही है. दोनों मासूम बच्चों को तो यह भी नहीं पता कि उनके पिता इस दुनिया से उन्हें हमेशा के लिए छोड़कर चले गए.


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