नसीराबाद नगरपालिका अध्यक्ष पद के उपचुनाव में नाम वापसी के बाद बागी होगा प्रत्यक्ष उजागर
Nasirabad News: अजमेर की नसीराबाद नगरपालिका गठन के बाद प्रथम बोर्ड की अध्यक्ष शारदा मित्तलवाल अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी हैं. बीते कई माह से यह पद रिक्त चल रहा था. अब इस रिक्त पद के लिए चुनाव प्रक्रिया के तहत 7 नवंबर को नाम वापसी कार्यक्रम नियत किया हुआ है.
Nasirabad News, Ajmer: नसीराबाद नगरपालिका गठन के बाद प्रथम बोर्ड की अध्यक्ष शारदा मित्तलवाल अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और लगभग ढाई साल में ही अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के चलते पद गंवाना पड़ा था. बीते कई माह से यह पद रिक्त चल रहा था. अब इस रिक्त पद के लिए चुनाव प्रक्रिया के तहत 7 नवंबर को नाम वापसी कार्यक्रम नियत किया हुआ है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा का बागी उम्मीदवार प्रत्यक्ष उजागर हो जाएगा.
नगरपालिका नसीराबाद के अध्यक्ष पद के लिए सामान्य महिला सीट आरक्षित है. इस कारण नगरपालिका नसीराबाद के अध्यक्ष पद के उपचुनाव में महिला पार्षदों ने ही नामांकन पत्र भरा है. इस उपचुनाव में अनीता मित्तल, सरोज बिस्सा, पूनम सांखला, ऋटूका सोनी ने नामांकन पत्र पेश कर रखे हैं.
भाजपा ने अनीता मित्तल को और कांग्रेस ने ऋटूका सोनी को अपना प्रत्याशी घोषित किया है. अब चुनावी मैदान में भाजपा की सरोज बिस्सा और कांग्रेस की पूनम सांखला निर्दलीय नामांकन फार्म के साथ चुनावी मैदान में हैं.
7 नवंबर की दोपहर 3 बजे तक नाम वापसी का समय है. दोपहर तीन बजे तक यह उजागर हो जाएगा कि कांग्रेस एवं भाजपा की तरफ से कौन प्रत्याशी निर्दलीय नामांकन के साथ चुनावी मैदान में जोर आजमाइश करते हुए निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाते हैं और बागी की भूमिका निभाते हैं.
नगरपालिका के अध्यक्ष पद के उपचुनाव के मात्र 3 दिन शेष रह जाने के कारण चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है और चुनावी शतरंज में भाजपा एवं कांग्रेस के पदाधिकारियों ने अपनी अपनी गोटियां चलाना शुरू कर दिया है. दोनों ही पार्टियां अपना-अपना उम्मीदवार विजयी होने के दावे कर रहे है.
उल्लेखनीय है कि नगरपालिका में कुल 20 वार्ड हैं और 20 वार्ड के 20 पार्षद है. चुनाव में भाजपा के 10, कांग्रेस के आठ और निर्दलीय दो विजई हुए थे. दोनों निर्दलीय ने कांग्रेस को समर्थन दे दिया था, जिसमें से एक निर्दलीय शारदा मित्तलवाल को कांग्रेस ने अपने खेमे में लेकर उसे अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाते हुए कांग्रेस का बोर्ड गठित किया था, लेकिन शारदा मित्तलवाल की कार्यशैली से खफा होकर भाजपा ने ही नहीं बल्कि कांग्रेसी पार्षदों ने भी बगावत करते हुए भाजपा पार्षदों के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस के बोर्ड को गिरा दिया था.
शारदा मित्तलवाल के खिलाफ भाजपा ने ही नहीं बल्कि कुछ कांग्रेस ने भी बगावत करते हुए अविश्वास प्रस्ताव में भागेदारी निभाई थी. इस कारण इस बार शारदा मित्तलवाल की भूमिका पर नजरें है.
भाजपा एवं कांग्रेस दोनों ही दल में किसी प्रकार की बगावत अथवा क्रॉस वोटिंग नहीं होती हैं, तो हालात वापस वही 3 साल पुराने पहुंच जाते हैं और परिणाम लॉटरी के द्वारा निकालना पड़ेगा क्योंकि भाजपा के 10 कांग्रेस के आठ और दोनों निर्दलीय ने कांग्रेस को समर्थन दिया था. इसके चलते कांग्रेस व भाजपा को 10-10 मत हासिल होने पर उपचुनाव का परिणाम लॉटरी के द्वारा निकाला जा सकता है, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए दोनों ही राजनीतिक पार्टियों में बगावत की संभावना व्यक्त की जा रही है.