नवरात्रि के बाद 10वें विजयदश्मी पर राजस्थान में यहां होगा `सिंदूर खेला`, जानिए, क्या है परंपरा से जुड़ी मान्यता?

देश में कल (गुरुवार, 3 सितंबर) शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहे हैं. पूरे प्रदेश में घट स्थापना के साथ माता दुर्गा के आराधक उनकी आराधना में लीन हो जाएंगे.

हर्षुल मेहरा Wed, 02 Oct 2024-5:50 pm,
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नवरात्रि 2024

दुर्गा पूजा उत्सव पर जयपुर के छोटीकाशी में मिनी बंगाल की झलक देखने को मिलती है. पिंकसिटी में भी बंगाली संस्कृति की झलक देखने को मिलती हैं. इस बार दुर्गा पूजा को लेकर छोटीकाशी में अभी से तैयारियां जोरों पर है. मूर्तिकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं. इस बार शारदीय नवरात्रि शहरवासियों के लिए खास होंगे. दुर्गाबाड़ी में अब शहरवासी शारदीय नवरात्र में नहीं बल्कि सालभर मां दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं के दर्शन कर सकेंगे.

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राजस्थान न्यूज

मां दुर्गा की आराधना शक्ति की आराधना है. भक्ति के लिए प्रतिमाएं तैयार कर गर्व की बात है. इससे आत्मबल में बढ़ावा होने के साथ शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है. यह कहना बंगाली संस्कृति को शहरवासियों को रूबरू करवाने के उद्देश्य से राजधानी में दुर्गापंडालों और मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाने वाले मूर्तिकारों का है. दुर्गाबाड़ी में अब शहरवासी शारदीय नवरात्र में नहीं बल्कि सालभर मां दुर्गा सहित अन्य देवी देवताओं के दर्शन कर सकेंगे. सात समंदर पार वियतनाम से करीब 45 टन मंगवाए गए सफेद संगमरमर के पत्थर से तराशी गई. सात से लेकर 12 फीट तक की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा तीन अक्टूबर को होगी.

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सिंदूर खेला

छोटीकाशी में दुर्गापंडालों में एक बार फिर बंगाली संस्कृति साकार होगी. अलग-अलग थीम पर सजाए जा रहे पंडाल भी बेहद खास होंगे. सबसे पुरानी बनीपार्क स्थित दुर्गाबाड़ी के साथ ही मालवीयनगर में कालीबाड़ी, सरबोजनिन कल्याण संघ, सी स्कीम स्थित जय क्लब में प्रोबासी बंगाली कल्चरल सोसायटी, गोरांग महाप्रभु मठ वैशालीनगर, सांगानेर, सीकररोड, टोंकरोड सहित अन्य 70 से अधिक जगहों पर छोटे पंडाल सजाकर बंगाल की तर्ज पर विशेष कार्यक्रम होंगे.

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नवरात्रि

बहरहाल, दुर्गा पूजा महज एक त्योहार नहीं है बल्कि ये पर्व ऐसा है जो लोगों की आस्था से ज्यादा उनके दिलों से जुड़ा है. नारी शक्ति की प्रतीक देवी दुर्गा की आराधना यूं तो भारत में हर हिंदू घर में आम बात है लेकिन नवरात्रों के नौ दिनों में मां के हर रूप की पूजा की जाती है..बंगाल की दुर्गा पूजा देश भर में मशहूर है पर अब राजधानी जयपुर में भी प्रचलित हैं. पूजा पंडाल राजधानी के बंगाली परिवारों के लिए किसी भी मायने में बंगाल से कम नहीं है.

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सिंदूर खेला परंपरा

नवरात्रि के दौरान खास तौर पर बंगाल से आए लोग जो कि अलग अलग जगहों पर निवास करते है लेकिन माता की आराधना के दौरान उनकी ओर से विशेष पूजन अर्चन किया जाता है. जोधपुर दुर्गाबाड़ी में इन दिनों माता दुर्गा की मूर्ति को आकृषक श्रृंगार के साथ तैयार करते हुए अंतिम रूप दिया जा रहा है. दुर्गाबाड़ी के अध्यक्ष मिलन सेन गुप्ता की माने तो जोधपुर की इस दुर्गाबाड़ी में पिछले 82 सालों से दुर्गा पूजन किया जा रहा है. हर साल बंगाल से विशेष मिट्टी लाकर माता दुर्गा,कार्तिकेय,गणेश की मूर्तियां तैयार की जाती है. पूरे 9 दिन तक माता की आराधना और विशेष पूजन किया जाता है. उसके बाद 10वें दिन बंगाल की तरह यहां पर भी दुर्गा पूजा के दौरान सिंदूर खेलना एक परंपरा है. जिसे सिंदूर उत्सव भी कहा जाता है.

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विजयदशमी 2024

यह परंपरा नवरात्रि के आखिरी दिन, यानी विजयदशमी के दिन मनाई जाती है. इस दिन मां दुर्गा को विदाई देने के लिए सिंदूर खेला का आयोजन किया जाता है. इस दौरान महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और जश्न मनाती हैं. मान्यता है कि सिंदूर खेला करने से पति की उम्र बढ़ती है और वह सौभाग्यशाली रहता है. सिंदूर खेला से जुड़ी मान्यता है कि अगर कोई महिला सही तरीके से सिंदूर खेला खेलती है, तो वह कभी विधवा नहीं होगी और मां दुर्गा सुहाग की रक्षा करती हैं.

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